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________________ ६४६ जीवाभिगमसूत्रे 1 प्रेक्षा - प्रेक्षणम् 'लासगपेच्छाइ वा' लासक प्रेक्षेति वा, लासकाः ये रासकान् ऐति हासिक गीतरूपान् गायन्ति ते जयशब्दप्रयोक्तारो वा लासकास्तेषां प्रेक्षा 'लेख' पेच्छाइ वा' लेखप्रेक्षेति वा, लङ्खा महावंशाग्रमारुह्य नृत्यकत्तरिः 'मंखपेच्छाइ वा ' मङ्खा प्रेक्षेति वा, मङ्खा ये चित्रपट्टादिहस्ता भिक्षां चरन्ति, 'तूणइल्लपेच्छाइ वा 'तूणइल्लप्रेक्षेति वा, तूणानामक वाद्यवादकास्तेषां प्रेक्षा, प्रेक्षणकमित्यर्थः, 'तंबवीण पेच्छाइ वा' तुम्बवीणा प्रेक्षेति वा, तुम्बवीणा अलाबुफलनिर्मिता विशेषरचनयानिमिता वीणा 'कावपेच्छाइ वा' का प्रेक्षेति वा, कावा' - कावडिका वाहकास्तेषां प्रेक्षा । 'मागहपेच्छाइ वा' मागधप्रेक्षेति वा मागधाः स्तुति पाठकास्तेषां प्रेक्षा वा एतानि मेला भरता हैं क्या ? 'लासग पेच्छाइ वा' लासक जनों के ऐतिहासिक रास-गीतों को गाने वालों अथवा जय जय शब्द बोलने वालों के लास्य को देखने वालों का मेला भरता हैं क्या ? 'लंख पेच्छाइ वा मंख पेच्छाइ वा, तृणइल्ल पेच्छाइ वा' लेख-वांस पर चढकर खेलने वालों के खेल को देखने वालों का मेला भरता हैं क्या ? मंख - चित्र पक हाथ में लेकर हर एक घर से भिक्षा मांगने वालों को देखने वालों का मेला भरता हैं क्या ! तूणा नामक वाद्यविशेष को बजाने वालों के उस वाद्य बजाने की कला को देखने वालों का मेला भरता है क्या ? 'तुंब वीण पेच्छाइ वा' तूं बडी की वीणा बजाने वालों की वादन क्रिया को देखने वालों का मेला भरता हैं क्या ? 'काव पेच्छाइ वा' कंधे पर कावड लिये फिरने वालों की विचित्र प्रकार की लीलाक्रीडा - को देखने वालों का मेला है क्या ? 'मागह पेच्छाइ वा' स्तुति पेच्छाइवा' शुल भने अशुलनुं याभ्यान કરવાવાળાએની જે સભા ભરાય છે. તેના મેળે लराय छे ? 'लोसग पेच्छाइवा' सास ४नानी अर्थात् ઐતિહાસિક રાસ ગરમા ગાવાવાળા અથવા જય જય શબ્દે ખેાલવાવાળાઓના सास्यने नारासोनो भेजो लराय छे ? 'लंख पेच्छाइवा मंख पेच्छा इवा, तू इल्ल पेच्छाइवा सं-वांस પર ચઢીને રમત કરવાવાળાઓની રમતને જોનારા મનુષ્યાનેા મેળા ભરાય છે ? મંખ-ચિત્રપટ હાથમાં લઇને દરેક ઘરમાં ભિક્ષા માગનારાઓને જોનારાઓના મેળેા ભરાય છે ? તૂણ નામના વાદ્ય વિશેષને વગાડવાવાળાઓની તે વાદ્ય વગાડવાની કળાને દેખનારાઓના મેળા लराय छे ? 'तूंबवीण पेच्छाइवा' तुमडीनी वीणा वगोडवावाणामनी वाहन डियाने नारायनो भेजो लराय छे ? 'काव पेच्छा इवा' ला पर अवड લઈને કરવાવાળાએની વિચિત્ર પ્રકારની લીલા કીડાને જોનારાઓના મેળે लराय छे ? 'मागह पेच्छाइवा' स्तुति पाठ उरवावाजा भागध भनाना स्तुति જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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