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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू.३६ एकोरुकद्वीपस्थितद्रमगणवर्णनम्
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रहितं शिखरादि रहितं हर्म्यम् ! 'अहवणं धवलहर अद्धमागह विभम सेलद्ध सेल - संठि कूडागार सुविहिकोग अणेगघरसरणलेण आवण विडंगजालविंदणिज्जूह अववरक दोवारिय - चंदसालियरूवविभत्ति कलिया' अथवा खलु धवलगृहार्द्ध मागधविभ्रम शैलार्द्धशैलसंस्थित कूटाकाराढच सुविधिकोष्ठकानेक गृहसरणलयनआपण विडंकजालवृन्द नियू हापवर कदौवारिक चन्द्रशालिकारूपविभक्ति कलिताः तत्र - धवलगृहं सौधम्, अर्धमागध विभ्रमाणि गृहविशेषाः, शैलार्द्धशैल संस्थितानि उसका नाम नन्दिका वर्त्त गृह है जिसकी नीचे की भूमि शुभ्र हो और ऊपर जिस पर छान - छप्पर न हो ऐसे आंगन वाले घर का नाम पाण्डुरतल मुण्ड माल गृह है धनिक जनों के रहने के मकान का नाम हर्म्य है 'अहव णं धवलहर अद्धमागह विग्भम सेलद्ध सेल संठिय कूडागारड्डू सुविहिकोट्ठग अणेग घरसरणलेण आवण विडंग जालविंदणिज्जूह अवरक दोवारिय चंद सालिय रूव विभत्ति कलिया भवण विहिबहु विकप्पा' धवलगृह - सौध अर्धगृह मागध गृह एवं विभ्रमगृह, शैलादूर्द्ध गृह, शैल संस्थितगृह, कूडाकार गृह, सुविधि कोष्टक गृह, शरण लयन आपण, इत्यादि रूप से भवनों के भेद अनेक होते है. इनमें अर्ध गृह मागध गृह और विभ्रम गृह ये कोई विशेष प्रकार के धर होते है पहाड़ के अर्ध भाग का जैसा आकार होता है इस आकार का को घर होता है उसका नाम शैलादूर्द्ध गृह है तथा पर्वत का जैसा आकार होता है इस आकार का जो घर होता है वह शैल संस्थित સ્વસ્તિકના જેવું જે ઘર હેાય તેનું નામ નંદિકાવત ગૃહ કહેવાય છે. જેની નીચેની ભૂમિ શુદ્ધ હેાય અને જેની ઉપર છાજ-છાપરૂ. ન હેાય એવા આંગણા વાળા ઘરનું નામ પાંડુરતલ મંડમાલ ગૃહ કહેવાય છે. ધનવાનાને રહેવાના 'भान' नाम 'ह' हे ' अहव णं धवलइर अद्धमागहविब्भम सेलद्धसेल संठिय कूडागार सुविहिकोट्ठग अणेगघरसरणलेण अविण विडंगजालविदणिज्जूह अवरक दोवारिय चंदसालिय रूव विभत्तिकलिया भवणविहि बहुविकप्पा' धवसગૃહ સૌધ, અગૃહ માગધગૃહ અને વિભ્રમગૃહ, શૈલા ગૃહ, શૈલ સ`સ્થિતગૃહ કૂંડાકારઘર, સુવિધિકાષ્ટકઘર, અનેકગૃહ, શરણલયન, આપણુ વિગેરે પ્રકારથી ભવનાના અનેક ભેદો હાય છે. તેમાં અગૃહ, માગધગૃહ, અને વિભ્રમગૃહ આ કઇ વિશેષ પ્રકારના ઘર હાય છે. પહાડના અધભાગના જેવા આકાર હાય છે, એ આકારનુ જે ઘર હાય છે, તેનું નામ શૈલા ગૃહ છે. તથા પતના જેવા આકાર હાય છે, તેવા આકારનુ જે ઘર હાય છે; તે શૈલ
જીવાભિગમસૂત્ર