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जीवाभिगमसूत्रे
५०४ ते मत्तंगया वि दुमगणा अणेग बहुविविह वीससा परिणयाए मजविहीए उववेया फलेहिं पुण्णा वीसहति कुसबिकुस विसुद्धरुक्खमूला जाव विसति १। एगोरुए दोवे तत्थ तत्थ बहवो भिंगंगया णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो ! जहा से बारग घडगकरगकलसककरिपायकंचणिया उदंकबद्धणिसु पइगपारी च सकभिंगार करोडिया सरगपत्तीथालमल्लग चवलियदगवारकविचित्तवक मणिवट्टक सुत्ति चारुपीणया कंचणमणिरयणभत्तिचित्ता भायणविधीए बहुप्पगारा तहेव ते भिंगंगया वि दुमगणा अणेग बहुगविविहवीससा परिणयाए भायण. विहीए उववेया फलेहिं पुन्ना विसति कुसविकुस विसुद्धरुक्खमूला जाव विसति२। एगोरुय दीवेणं दीवे तत्थर बहवे तुरियंगा णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो !, जहा से आलिंगमुयंगपणवपडहदद्दरग करडिंडिम भंभाहोरंभकणियार खरमुहिमुगुंद संखिय परिलीवव्वग परिबाइणि वंसावेणु वीणा सुघोसविवंचि महइकच्छभिरगसगा, तलताल कंसताल सुसंपउत्ता आतोजविहिणिउणगंधव्व समयकुसलेहि फंदिया तिट्राणसुद्धा तहेव तं तुडियंगया वि दुमगणा अणेग बहुवि विहवीससा परिणयाए ततविततघणसुसिराए चउठिवहाए आतोजविहीए उववेया फलेहिं पुण्णा विसति, कुसविकुस विसुद्ध रुक्खमूला जाव विसति ३। एगोरुय दीवे तत्थर बहवे दीव सीहाणाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो! जहा से झंझा विराग समए णवणिहि पइणो दीविया चकवालविंदे पभूयवहिपलित्तहे धणिउज्जालिय तिमिरमद्दए कणगणिगरकुसुमिय पालिया
જીવાભિગમસૂત્ર