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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २ सू० २२ विशेषतस्तिर्यगादीनां संमिश्रं नवममल्पबहुत्वम् ६३३ जित्थीओ संखेज्जगुणाओ' स्थलचरतिर्यगयोनिकपुरुषापेक्षया स्थलचरतिर्यग्योनिकस्त्रियः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'जलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा' स्थलचरस्त्र्यपेक्षया जलचरतिर्यग्योनिकपुरुषाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति । तथा-'जलयरतिरिक्खजोणित्थीओ संखेज्जगुणाओ' जलचरतिर्यग्योनिकपुरुषापेक्षया जलचरतिर्यग्योनिक स्त्रियः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'वाणमंतरदेवपुरिसा संखेज्जगुणा' जलचरस्त्र्यपेक्षया वानव्यन्तरदेवपुरुषाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति । तथा-'वाणमंतरदेवित्थीओ संखेज्जगुणाओ' वानव्यन्तरदेवपुरुषापेक्षया वानव्यन्तरदेवस्त्रियः संख्यातगुणाधिका भवन्तीति । 'जोइसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा' वानव्यन्तरदेव्यपेक्षया ज्योतिष्कदेवपुरुषाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति तथा-'जोइसियदेवित्थीओ संखे ज्जगुणा' ज्योतिष्कदेवपुरुषापेक्षया ज्योतिष्कदेव स्त्रियः संख्यातगुणाधिका भवन्ति । 'खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा' ज्योतिष्कदेव्यपेक्षया खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'थलयरणपुंसगा संखेज्जगुणा' खेचरनपुंसकापेक्षया स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति । 'जलयरणपुंसगा संखेपुरुषों की अपेक्षा स्थलचर तिर्यग्योनिक स्त्रियाँ संख्यातगुणी अधिक है। "जलचर तिरिक्खजोणियपरिसा असंखेज्जगणा' स्थलचरस्त्रियों की अपेक्षा जलचर तिर्यग्योनिक पुरुष संख्यात गुणे अधिक है । 'जलयरतिरिक्खजोणिणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' जलचरतिर्यग्योनिक पुरुषों की अपेक्षा जलचर तिर्यग्योनिक स्त्रियाँ संख्यातगुणी अधिक है। 'वाणमंतरदेवपुरिसा संखेज्जगुणा' जलचरस्त्रियों की अपेक्षा वानव्यन्तर देवपुरुष संख्यातगुणे अधिक है । 'वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' वानव्यन्तर देवों की अपेक्षा वानव्यन्तर देवस्त्रियाँ संख्यातगुणी अधिक है । 'जोइसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा' वानव्यन्तर देवियों की अपेक्षा ज्योतिष्क देव पुरुष संख्यातगुणे अधिक है। "जोइसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणा" ज्योतिषिक देवस्त्रियाँ ज्योतिषिक देवपुरुषों की अपेक्षा संख्यातगुणी अधिक हैं। "खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा" ज्योतिष्क देवियों की अपेक्षा खेचर तिर्यग्योनिकनपुंसकसंख्यातगुणे अधिक हैं। "थलयरणपुंसगा ५३षी सध्यात वधारे छ. थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ” स्थायर तिय योनि ५३षो२ता स्थायर तिययोनि:स्त्रियो सध्यातराणी पधारे छ. “जलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा" स्थरायस्त्रिया ४२di सय२ तिय यानि पु३१ सभ्याताधारे छ. “ जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" सय तिय योनि पुषी ४२di reय२ तिय योनि स्त्रियो सभ्याती पधारे छ. "वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" पानव्यन्त२ ११ ५३षो ४२ता पानव्य-त२ हेवोनास्त्रियो सभ्यातगणी पधारे छे. “जोइसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा" वानन्य-त२ हवीयो२तां क्योति व ५३१) सध्यातग धारे छ. "जोइसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणा" याति वस्त्रिय। ज्योति हेव ५३षा ४२तां सियातगणी पधारे छे. 'खहयरपचिंदियतिरिक्खजोणिय पुरिसा संखेज्जगुणा" न्योत स्त्रिय। ४२त मेय२तिय यानि नस:५३षो सध्यात જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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