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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २० २२ विशेषत स्तिर्यगादीनां संमिश्रं नवममल्पबहुत्वम् ६३१ तथा इमे द्वयेऽपि स्वस्थाने परस्परं तुल्याश्च भवन्तीति । तथा - हरिवर्षरम्यकवर्षमनुष्य नपुंसकापेक्षया हैमवत हैरण्यवताकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति, स्वस्थाने इमे येऽपि परस्परं तुल्याश्च भवन्ति । तथा हैमवत हैरण्यवतमनुष्यनपुंसकापेक्षया भरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति स्वस्थाने इमे द्वयेऽपि परस्परं तुल्याश्च भवन्ति । तथाभरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकापेक्षया पूर्वविदेहापर विदेहकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकाः संख्येयगुणाधिका भवन्ति तथा स्वस्थाने इमे परस्परं तुल्याश्च भवन्तीति || ' ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' पूर्वविदेहापरविदेह कर्मभूमिकमनुष्य नपुंसकापेक्षया ईशानकल्पे देवपुरुषा असंख्येयगुाधिका भवन्तीति । 'ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' ईशानकल्पदेवपुरुषापेक्षा ईशानकल्पे देवस्त्रियः संख्येयगुणाधिका भवन्ति । 'सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा' ईशानकल्पदेवस्त्र्यपेक्षया सौधर्मकल्पे देवपुरुषाः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' सौधर्मकल्पदेवपुरुषापेक्षया सौधर्मकल्पे देवस्त्रियः संख्यातगुणाअपेक्षा तुल्य है हैमवत एवं हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक हरिवर्ष और रम्यक वर्ष के मनुष्य नपुंसकों की अपेक्षा संख्यातगुणे अधिक हैं एवं स्वस्थान में ये आपस में तुल्य हैं । भरतक्षेत्र और ऐरवत क्षेत्र के जो मनुष्य नपुंसक हैं वे हैमवत और हैरण्यवत मनुष्य नपुंसकों की अपेक्षा संख्या गुणे अधिक है और स्वस्थान में ये आपस में तुल्य हैं भरतक्षेत्र एवं ऐरवत क्षेत्र के मनुष्य नपुंसकों की अपेक्षा पूर्वविदेह और अपरविदेह के जो मनुष्य नपुंसक हैं वे संख्यातगुणे अधिक हैं । तथा स्वस्थान में ये दोनों परस्पर तुल्य हैं " ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखज्जगुणा " ईशान कल्प में जो देवपुरुष हैं वे पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह के मनुष्यनपुंसकों की अपेक्षा असंख्यातगुणे अधिक हैं । "ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ " ईशान कल्प में जो देवस्त्रियाँ हैं वे ईशान कल्प के देवपुरुषों की अपेक्षा संख्यातगुणी अधिक है । "सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा " सौधर्मकल्प में जो देव पुरुष हैं वे ईशान कल्प की સખ્યાતગણુ વધારે છે. તથા તે બેઉ પરસ્પરમાં તુલ્ય છે. હૈમવત અને હૈરણ્યવત અકમભૂમિના મનુષ્યનપુસકા હરિવ, અને રમ્યકવના મનુષ્ય નપુ ંસકો કરતાં સંખ્યાતગણા વધારે છે. અને સ્વસ્થાનમાં તેઆ પરસ્પરમાં તુલ્ય છે. ભરતક્ષેત્ર અને અરવતક્ષેત્રના મનુષ્ય નપુ ́સકો કરતા વિદેહ અને અપવિદેહના જે મનુષ્ય નપુસકે છે, તેએ સંખ્યાતગણુા वधारे छे. तथा स्वस्थानमा मा भन्ने तुल्य छे. 'ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा” ઇશાન કલ્પના દેવપુરૂષો, પૂર્વાં વિદેહ અને પશ્ચિમ વિદેહના મનુષ્ય નપુસકે કરતાં અસध्यातपणा वधारे छे. “ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ” ईशानपनी देवस्त्रियो ईशान उदपना देवपु३षो पुरता संख्यातगली वधारे छे. “सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखे ज्जगुणा" ” સૌધ કલ્પમાં જે દેવપુરૂષો છે. તે ઈશાનપની દેવસ્ત્રિયા કરતાં સંખ્યાતधारे छे. “सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ” सोधर्म मुल्यमां के द्वेव જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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