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________________ ६२८ जीवाभिगमसूत्रे तेभ्य आनतकल्पदेवपुरुषाः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति । अथाग्रे-असंख्याताः प्रदर्श्यन्ते—'अहेसत्तमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा संखेज्जगुणा' आनतकल्पदेवपुरुषापेक्षया अधःसप्तम्यां पृथिव्यां नैरयिकनपुंसका असंख्यातगुणाधिका भवन्तीति । 'छट्ठीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' सप्तमपृथिवीनारकनपुंसकापेक्षया षष्ठयां तमः प्रभापृथिव्यांनारकनपुंसका असंख्यातगुणा अधिका भवन्तीति । 'सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखज्जगुणा' तमापृथिवीनारकनपुंसकापेक्षया सहस्रारदेवकल्पे देवपुरुषा असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'महामुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' सहस्रारकल्पदेवपुरुषापेक्षया महाशुक्रकल्पदेवपुरुषा असंख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'पंचमीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' महाशुक्रकल्पदेवपुरुषापेक्षया पञ्चम्यां पृथिव्यां अपेक्षा आरणकल्प के जो देव पुरुष हैं वे संख्यात गुणे अधिक हैं । इनकी अपेक्षा प्राणतकल्प के जो देव पुरुष हैं वे संख्यात गुणे अधिक हैं और इनकी अपेक्षा जो आनत कल्प के देव पुरुष हैं वे संख्यात गुणे अधिक हैं। यहांसे आगे असंख्यात गुणें कहते हैं'अहे सत्तमाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" आनत कल्प के देवपुरुषों की अपेक्षा अधः सप्तमी पृथिवी में जो नैरयिक नपुंसक हैं वे असंख्यात गुणे अधिक हैं । "छट्ठीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखज्जगुणा" छठी पृथिवी के जो नैरयिक नपुंसक हैं वे सप्तमनार कनपुंसकों की अपेक्षा असंख्यात गुणे अधिक है “सहस्सारे कप्पे-- देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" सहस्रारकल्प में जो देव पुरुष हैं वे छठवीं पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों की अपेक्षा असंख्यातगुणे अधिक हैं । “महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" महाशुक्र कल्प में जो देव पुरुष हैं वे सहस्रारकल्प के देव पुरुषों की अपेक्षा असंख्यातगुणे अधिक हैं। “पंचमीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" पाँचवीं पृथिवी में जो नैरयिक કલ્પના જે દેવપુરુષે છે, તેઓ સંખ્યાતગણી વધારે છે. તેના કરતાં આરણ ક૯૫ના જે દેવ. પુરૂષો છે. તેઓ સંખ્યાતગણી વધારે છે. તેના કરતાં પ્રાણુત ક૯૫ના જે દેવ પુરૂ છે, તેઓ સંખ્યાતગણી વધારે છે. અને તેના કરતાં આનતક૯૫ના દેવપુરૂષ છે, તેઓ સંખ્યાતગણ पधारे छे. महिथी सास सस यातायानु थन ४२ छ. “अहे सत्तमाए पुढवीए णेरयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" मानत ४६५ना ५३॥ ४२त। अधः सभी पृथ्वीमा २ नैरयि नस। छ, तया असण्यातमा धारे छ. छट्ठीए, पुढवीए रइय-णपुंसगा असंखेज्जगुणा" ही पृथ्वीना नैयि नस। सातमी पृथ्वीना ना२४ नस। ४२di सस ज्यात गए धारे छे. “सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" सना२ ५८५ना व ५३॥ ४ी पृथ्वीना नैरायि नस २i मसभ्यात गए पधारे “महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" महाशु ४६५मां ने व ५३॥ छ तस। सहखा२ ४६५ना हेवY३षो ४२ता असभ्याता धारे छ. “पंचमीए पुढवीए णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" पांयभी पृथ्वीना नेय नधुस। भाशु ४६५ना १५३षी જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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