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________________ जीवाभिगमसूत्रे 'वेमाणियाणं' वैमानिकानां देवपुरुषाणाम् । 'सोहम्मगाणं' सौधर्मकानाम् ' जाव गेवेज्जगाणं' यावद्द्यैवेयकानाम् यावत्पदेन ईशानसनत्कुमार माहेन्द्रलान्तकमहाशुक्रसहस्राराऽऽनतप्राणतारणाच्युतपर्यन्तानां देवानाम्, तथा - 'अणुत्तरोवबाइयाणं' अनुत्तरोपपातिकानाम्, 'णेरइयण पुंसगाणं' नैरयिकनपुंसकानाम् 'श्यणप्पभापुढवीणेरइयण पुंसगाणं जाव आहेस त्तमपुढवीणेरइयण पुंसगाणय' रत्नप्रभा पृथिवीनैरयिकनपुंसकानां यावदधः सप्तमपृथिवीनैरयिकनपुंसकानां च. अत्र यावत्पदेन शर्कराप्रभावालुकाप्रभापङ्कप्रभाधूमप्रभातमःप्रभापृथिवीनैर यिकनपुंसकानां संग्रहो भवतीति ज्ञेयम् 'कयरे करे हिंतो' कतरे कतरेभ्यः 'अप्पा वा' अल्पावा 'बहुया वा' बहुका वा 'तुल्ला वा' तुल्या वा 'विसेसाहिया वा' विशेषाधिका वेति प्रश्नः, भगवनाह — 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे देवपुरुषों के अर्थात् “भवणवासिणं" भवनवासिदेवों के भवनवासि देवपुरुषो के "वेमाणि - या" वैमानिक देव पुरुषों के, “सोहम्मगाणं" सौधर्मक देवपुरुषों के " जाव गेवेज्जगाणं " यावत् ईशान, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत इनकल्पों के देवपुरुषों के तथा ग्रैवेयक देवपुरुषों के, तथा - " अणुत्तरोववाइयाणं" अनुत्तरोपपातिक देव पुरुषों के, तथा - " णेरइयणपुंसगाणं" नैरयिकनपुंसकों के अर्थात् “रयपुढवीणेरइयण पुंसगाणं" रत्नप्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों के - यावत्-शर्करा प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों के, वालुका प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों के, पङ्कप्रभा पृथिवी के नैरयिक नपुंसकों के, धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक नपुंसकों के तमः प्रभा पृथिवी के नैरयिकनपुंसकों के और अधः सप्तम पृथिवी के नैरयिक नपुंसकों के बीच में “कयरे कयरेहिंतो अप्पा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा" कौन किन से अल्प हैं ? कौन किनसे बहुत हैं कौन किनके बराबर हैं ? और कौन किन से विशेषाधिक हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं— 'गोयमा ! ६२४ अर्थात् 'भवणवासिणं" लवनवासि हेवामां - लवनवासि देव ५३षामा “वेमाणियाण " वैमानि देवपुरषोभां "सोहम्मकाणं" सौधर्म ना देवषमां "जाव गेवेज्जाणं" यावतू ईशान, सनत्कुमार, भाडेन्द्र, ब्रह्म, सान्त, महाशुद्र, सहसार, मनत, प्रशुति, भार मय्युत आयोना देवपुरषोभां तथाग्रैवेया देवपुरषोभां तथा " अणुत्तरोववाइयाण" अनु तरोपयाति देवषोभां तथा "णेरइयणपुंसगाणं" नैरयि नपुंस।मां अर्थात् “रयण भाढवीणेरइयण गाणं" रत्नप्रला पृथ्वीनां नैरयि नपुंसओ मां, यावत् । प्रभा પૃથ્વીના નારાયિક નપુંસકોમાં વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીના નૈયિક નપુસકેામાં, પ ́કપ્રભા પૃથ્વીના નૈરયિક નપુસકેામાં, ધૂમપ્રભા પૃથ્વીના નૈરિયક નપુંસકામાં, તમ:પ્રભા પૃથ્વીના नैरयि नपुं सभां मने अधःसप्तमी - पृथ्वीना नैरयिङ नपुं सभां " कयरे कयरे हितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा" अशु अनाथी अदप मोछा छे ? કોણ કોનાથી વધારે છે ? કોણ કોની ખરાબર છે ? અને કોણ કોનાથી વિશેષાધિક છે ? या प्रश्नना उत्तरमां प्रभु गौतमस्वामीने डे छे ! - - " गोयमा ! अंतरदीवग अकस्मभू જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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