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________________ ३९८ जीवाभिगमसूत्रे स्त्रीणां स्थिति दर्शयितुमाह - 'चंद विमाण' इत्यादि, 'चंद विमाणजोइसियदेवित्थीए' चन्द्रविमानज्योतिष्कदेवस्त्रियाः ' जहन्नेणं चउभागपलिओवमं' जधन्येन चतुर्भागपल्योपमम्, पल्योपमस्य चतुर्थभागप्रमाणा स्थितिरित्यर्थः, 'उक्को सेणं तं चेव' उत्कर्षेण तदेव चन्द्रविमानज्योतिष्क देवस्त्रीणामुत्कर्षेण स्थिति: अर्द्धपल्योपमं पञ्चाशता वर्षसहस्रैरभ्यधिकमिति ॥ सूरविमाणजोइसियदेविस्थी ए' सूर्यविमान ज्योतिष्कदेवस्त्रियाः 'जहन्नेणं चउभागपलिओवमं' जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम् सूर्यदेवत्रीणां जघन्या स्थितिः पल्योपमस्य चतुर्भागपरिमिता भवति, तथा 'उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहिये' उत्कर्षेणार्द्ध पल्योपमं पञ्चभिर्वर्षशतैरभ्यधिकम् पञ्चशताधिकार्द्ध पल्योपमप्रमाणोत्कृष्टा स्थिति र्भवति सूर्यविमानज्योतिष्क देवीनामिति । 'गह विमान जोइसिय देवित्थोणं' ग्रहविमानज्योतिष्कदेवखीणाम् ' जहन्नेणं चउमागपलिओवमं' जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम् 'उक्कोसेणं प्रकार पचास हजार वर्ष अधिक आधे पल्योपम की उत्कृष्ट स्थिति ज्योतिष्क देवो की देवियो की है ऐसा जानना चाहिये । इस प्रकार का यह कथन सामान्य रूपसे ज्योतिष्क देवोंकी देवियों के सम्बन्ध में कहा गया है । अब जो ज्योतिष्क देवों के भेद चन्द्र आदि है उनकी देवियों की क्या क्या स्थिति है - यह प्रकट किया जाता है । " चंद विमाणजोइसियदेवित्थी ए" चन्द्र विमान ज्योतिष्क देव स्त्रियों की " जहन्नेणं चउभागपलिओवमं" स्थिति जधन्य से एक पल्योपम का चौथा भाग और “उक्कोसेणं तं चेव" उत्कृष्ट से पचास हजार वर्ष अधिक आधे पल्योपम की है “सूरविमानजोइ सियदेवित्थीए जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससए हिमव्भहियं" सूर्यविमान ज्योतिष्क देवस्त्रियों की स्थिति जघन्यसे पल्योपमके चौथे भाग प्रमाण है और उत्कृष्ट से पांचसौ वर्ष अधिक आ पल्योपमकी है । “गहविमाणजोइ सियदेवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसे આ અધિક અર્ધાપલ્યાપમની ઉત્કૃષ્ટસ્થિતિ જ્યાતિષ્ઠ દેવાની શ્રિયાની છે. તેમ સમજવુ. રીતે આ ઉપરક્ત કથન સામાન્યપણાથી યાતિષ્ઠ દેવાની દેવિયાના સબધમાં કહેવામાં આવેલ છે. હવે નૈતિક દેવાના ભેદમાં ચંદ્ર વિગેરે છે, તેમની દેવિયાની કઇ કઇ સ્થિતિ છે. તે બતાવવા સૂત્રકાર કહે છે. "चंद विमाणजोइ सियदेवित्थी ए" चंद्रविमान ज्योतिष्ठ हेवनी स्त्रियोनी स्थिति "जहणणेण चउभागपलिओवमं” ४धन्यथी मे पहयेोषमना थोथा लागनी भने “उक्कोसेणं तं चेव" उत्सृष्टथी पथासहन्नर वर्ष अधि अर्थात्यो भनी छे. “सूरविमाण जोइसिय देविस्थी जहणेणं चउभागपलि ओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहि वाससएहिमन्भहियं" સૂર્ય વિમાન જ્ગ્યાતિષ્ક સ્રિયાની સ્થિતિ જઘન્યથી પલ્યાપમના ચાથા ભાગ પ્રમાણના છે, मने उत्सृष्टथी यांयसो वर्ष वधारे अपत्याचमनी छे. “गहविमाणजोइ सियदेवित्थीणं જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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