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________________ सुबोधिनी टीका सू. १०५ सूर्याभदेवस्य पूर्व भवजीवप्रदेशिराजवर्णनम् २७ धरेजमाणेणं महया-भडचडगररहपहकरविंदपरिक्खित्ते साओ गिहाओ णिग्गच्छइ, सेयवियाए णयरीए मज्झ मज्झणं णिग्गछइ, सुहेहिं वासेहिं पायरासेहि नाइविकिहिं अंतरावासेहिं वसमाणे वसमाणे केइयद्धस्स जणवयस्स मज्झ मझेणं जेणेव कुणाला जणवए जेणेव सावत्थी नयरी तेणेव उवागच्छइ, सावत्थीए नयरीए मज्झमज्झेणं अणुपविसइ, जेणेव जियसत्तुस्स रणो गिहे जेणेव बाहिरिया उवटाणसाला तेणेव उवागच्छइ, तुरए णिगिण्हइ, रहं ठवेइ, रहाओ पच्चोरुहइ, तं महत्थं जाव पाहुड गिण्हइ, जेणेव अभितरिया उवटाणसाला जेणेव जियसत्तू राया तेणेव उवागच्छइ, जियसत्तु राय करयलपरिग्गहिय जाव कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ, तं महत्थ जाव पाहुडं उवणेइ ॥ सू०१०५॥ छाया--ततः खलु स चित्रः सारथिः प्रदेशिना राज्ञा एवमुक्तः सन् हृष्ट यावत् प्रतिश्रुत्य तत् महार्थ यावत प्राभृत गृह्णाति, प्रदेशिनो राज्ञो ऽन्तिकात् प्रतिनिष्क्रामति, श्वेतविकाया नगर्या मध्यमध्मेन यचैव स्वक 'तएण से चित्ते सारही' इत्यादि। सूत्रार्थ-(तएणं) इसके बाद (से चित्ते सारही) उस चित्र सारथिने जब (पएसिणा रणा) प्रदेशी राजाने एवं वुत्ते समाणे) उसने ऐसा कहातब वह (हट्ट जाव) बहुत प्रसन्न हुआ यावत् (पडिसुणेत्ता तं महत्थं जाव पाहुडं गेण्हइ) उसकी आज्ञा के वचनों को स्वीकार कर के उस महार्थ साधक यावत्-प्राभृतको लिया (पएसिस्स रणो अंतियाओ पडिनिक्खमइ) और लेकर-वह प्रदेशी राजा के पास से निकला (सेयविया नयरोए मक्झम. ज्झ ण जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ) और श्वेतविका नगरी के सूत्रार्थ-(तएण') त्या२ पछी (से चित्ते सारही) ते यित्र साथिने न्यारे (पएसिणा रणा) प्रदेशी २०-ये (एवं वुत्ते समाणे) मा प्रमाणे माज्ञा ४२ त्यारे ते (हट्ट जाव) अत्यंत प्रसन्न थयो यावत् (पडिमुणेत्ता तं महत्थ जाव पाहुडं Tog૬) તેની આજ્ઞાના વચનને સ્વીકારી ને તેણે તે મહાઈસાધક યાવત્ ભેટને લઈ सीधी, (पएसिस्स रणो अंतियाओ पडि निक्खमइ) मने सधनेते प्रदेशी २Nonनी पाथी Gan थने २ ज्यो, (सेयविया नयरीए मज्झमझेण जेणेव सए શ્રી રાજપ્રક્ષીય સૂત્રઃ ૦૨
SR No.006342
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages489
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size27 MB
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