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________________ ६२६ राजनीयसूत्रे कडुच्छ्रयं पग्गहिय पयत्तेणं धूवं दाऊण जिणवराणं अट्ठसयविसुद्ध गंथजुतेहिं अत्थजुतेर्हि अपुणरुत्तेहिं महावित्ते हिं संधुण, संधुणित्ता सत्तटु पयाई पच्चीसकर, पच्चोसक्कित्ता वामं जाणं अंचेइ, अंचित्ता दाहिणं जाणं धरणितलंसि निहटु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ, निवाडित्ता इसिपच्ण्णम, पच्चणमित्ता करयलपरिग्गहिय सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी || सू० ९२ ॥ छाया - ततः खलु तं सूर्याभ देवं चतस्रश्च सामानिकसाहस्रयो यावत् षोडश आत्मरक्षदेवसाहस्त्रयः अन्ये च बहवः सूर्याभविमानवासिनो देवाश्च देव्यश्व अप्येकके देवा उत्पलहस्तगता यावत् शतसहस्रपत्रहस्तगताः सूर्याभ देवं पृष्ठतः पृष्ठतः समनुगच्छन्ति । ततः खलु तं सूर्याभं देवं 'तणं तं सरियामं देवं इत्यादि । सूत्रार्थ - (तरणं) इसके बाद ( तं स्वरिया देवं) उस सूर्याभदेव के (पिओ २ समणुगच्छंति) पीछे २ चले । कौन चले ? इसके लिये कहा गया है कि - ( चत्तारिय सामाणियसाहस्सीओ, जाव सोलस आयरक्खदेव साह - सीओ) चार हजार सामानिक देव यावत् सोलह हजार आत्मरक्षक देव तथा - ( अन् य बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य) अन्य और बहुत से उस सूर्याभविमान के रहनेवाले देव और देवियां इनमें ( अप्पेगया देवा अप्पलहत्थगया, जाव सयसहस्रपत्त हत्थगया) कितनेक उत्पल हैं हाथों में जिन्हों के ऐसे थे और यावत् कितनेक देव ऐसे थे कि जिन्होने हाथों में शतसहस्रदलवाले कमल ले रहे थे. इस प्रकार से ये ' तएणं तं सूरियाभं देवं ' इत्यादि । सूत्रार्थ–(तएणं ) त्यारपछी ( तं सूरियाभं देवं ) ते सूर्यालद्देवनी ( पट्टिओ २ समनुगच्छति ) पाछपाछ घला बोडो यात्या, ते आशु हता १ भेना भाटे अहीं स्पष्टी४२ ४२वामां आवे छे े ( चत्तारिय सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेव साहस्सीओ ) यार हुन्नर सामानि देवे। यावत् सोज ऐन्तर आत्मरक्ष४ हेवे। तथा ( अन्ने य बहवे सूरिया भविमाणवासिणो देवा य देवीओ य ) मील पगु धां ते सूर्याल हेवना विमानमा रहेनारां देवदेवो । इतां. समांथी ( अप्पेगइया देवा उप्पलहत्थगया, जाव सयसहस्स पत्त हत्थगया ) કેટલાકના હાથેામાં ઉપલા હતાં અને યાવતુ કેટલાક દેવા એવા પણ હતા કે તેમના શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર ઃ ૦૧
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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