________________
६००
राजप्रनीयसूत्रे
,
देवाः धक्कुर्वन्ति, अप्येकके देवाः स्वानि स्वानि नामानि कथयन्ति, अप्येके देवत्वार्यपि, अप्येकके देवा देवसन्निपातं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा देवोद्योपं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा देवोत्कलिकां कुर्वन्ति, अप्येकके देवा देवकहकहकं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा देवदुदुहगं कुर्वन्ति अप्येकके देवालत्क्षेपं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा देवसन्निपातं देवोद्योतं देवोत्कलिकां देवकहकहकं देवदुदुहगं चेलोत्क्षपं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा उत्पलहस्तगता अप्पे या देवा थुकारेति अप्पेगइया देवा धक्कारेंति) तथा कितनेक देवोने "हक " इस प्रकार के शब्दों का उच्चारण, किया, कितनेक देवोंने बडे जोर से निष्ठीवन किया थूका कितनेक देवोंने धक् ऐसा शब्द किया (अप्पेगइया देवा साईं साई नामाई साति, अप्पेगइया देवा चत्तारि वि, अप्पेगइया देव देवसनिवार्य करेंति, अप्पेगइया देवा देवुजोयं करेंति, अप्पेगइया देवा देवकलिये करेंति) तथा कितनेक देवोंने अपने२ नामोंका उच्चारण किया, तथा कितनेक देवोंने इस चारों बातों को भी किया. (अप्पेगइया देवा देव सनिदायं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुज्जोय करेंति, अप्पेगइया देवा देवकलियं करेंति अप्पेगइया देवा देवकहकहगं करेंति) कितनेक देवोंने देवों के समूह को किया, कितनेक देवोंने देवसंबंधी प्रकाश को किया, कितनेक देवोंने देवों की भीड को किया, तथा कितनेक देवोंने देव संबंधी कोलाहल किया. ( अप्पेगइया देवा देवदुदुहगं करेंति, अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा देवसंनिवार्य देवुजोयं देवकलियं देवकहकहगं देवदुदुहगं, या त्राशे अर्यो अर्था', ( अप्पेगइया देवा हक्कारे ति अप्पेगइया देवा थुक्कारेति, अच्पेगइया देवा धक्कारे ति ) तेभन डेंटला हेवेोथे 'ए' मा लतना शल्हनु ઉચ્ચારણ કર્યું", કેટલાક દેવાએ બહુ જોરથી નિષ્મીવન કર્યું એટલે કે થૂકયા. डेंटला हेवाओं ‘ध४' मा रीते शहरयार ४ . ( अप्पेगइया देवा साई साइ नामाई' साहे ति अप्पेगइया देवा चत्तारि वि, अप्पेगइया देवा देवसंनिवार्य करें ति, अप्पेrइया देवा देवज्जोय करें ति अप्पेगइया देवा देवुक्कलियं करें ति ) तेभन કેટલાક દેવેએ પાતપેાતાના નામેાનુ' ઉચ્ચારણ કર્યું. તથા કેટલાક દેવાએ ચારે अार्यो ४र्था. (अप्पेगइया देवा देवसंनिवार्य करेति, अप्पेगइया देवा वेवुज्जोयं करें'ति, अध्पेगइया देवा देवुक्कलियं करेति, अपेगइया देवा देवकहकहगं करें ति) કેટલાક દેવાએ દેવાના સમૂહને એકત્ર કર્યાં. કેટલાક દેવાએ દેવ સ`ખ"ધી પ્રકાર કર્યાં, કેટવાક દેવાએ દેવાની ભીડ એકત્રિત કરી. અને કેટલાક દેવાએ દેવ समाधी असाहस हुये, ( अप्पेगइया देवा देवदुदुहगं करेति अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा देवसंनिवाथं देवुज्जोयं देवुक्कलियं देव कह
9
શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૧