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पीयूषवर्षिणी-टीका, सू. १०३, १०४ ईषत्प्राग्भाराया द्वादश नामानि. ३
मूलम्-ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेजा पण्णत्ता, तं जहा-ईसीइ वा ईसीपब्भाराइ वा तणूइ वा तणुतणूइ वा सिद्धीइ वा सिद्धालएइ वा मुत्तीइ वा मुत्तालएइ वा लेोयग्गेइ वा लोयग्गथूभिगाइ वा लेोयग्गपडिबुज्झणाइ वा सव्व-पाण-भूय-जीव-सत्त-सुहावहाइ वा ॥ सू० १०४॥
टीका--'ईसीपब्भाराए' इत्यादि ! 'इसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता' ईषत्प्राग्भारायाः खलु पृथिव्या द्वादश नामधेयानि प्रज्ञप्तानि, 'तं जहा' तद्यथा-'ईसीइ वा' ईषत् इति वा १, 'ईसीपब्भाराइ वा' ईषत्प्राग्भारा इति वार, 'तणूइ वा' तनुरिति वा३, 'तणुतणइ वा तनुतनुरिति वा४, सिद्धीइवा' सिद्धिरिति वा५, 'सिद्धालएइ वा' सिद्धालय इति वा ६, 'मुत्तीइ वा' मुक्तिरिति वा ७, 'मुत्तालएइ वा' मुक्तालय इति वा ८, 'लोयग्गेइ वा' लोकाग्रमिति वा ९, 'लोयग्गथूभिगाइ वा' लोकाग्रस्तूपिकेति वा १०, 'लोयग्गपडिबुज्झणाइ वा' लोकाग्रप्रतिबोधनेति वा ११, 'सव्व-पाण-भूय-जीव -सत्त-सुहावहाइ वा' सर्व-प्राण-भूत-जीव-सत्त्व-सुखावहेति वा १२ ॥ सू० १०४ ॥ 'ईसीपब्भाराए णं पुढवीए' इत्यादि ।
(ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेज्जा भवंति) ईषत्प्रागभारा पृथिवी के १२ नाम हैं, (तं जहा) जैसे-१-(ईसीइ वा) ईर्षत् , २-(ईसीपब्भाराइ वा) ईषत्प्राग्भारा, ३-(तणूइ वा) तनु, ४-(तणुतणू इवा) तनुतनु, ५-(सिद्धी इ वा) सिद्धि, ६-(सिद्धालए इवा) सिद्धालय, ७-(मुत्ती इवा) मुक्ति, ८-(मुत्तालए इवा) मुक्तालय, ९-(लोयग्गे इवा) लोकाग्र, १०-(लोयग्गथूभिगा इवा) लोकाग्रस्तृपिका, ११-(लोयग्गपडिबुज्झणा
'ईसीपब्भाराए णं पुढवीए' त्यादि.
(ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता) २षत्माअना। पृथिवीन १२ नाभा छ, (तं जहा ) म १-(ईसी इवा) ध्षत् , २-" (ईसीपब्भारा इवा) ध्षामा२, 3-(तणू इवा) तनु, ४-(तणुतणू इ वा) तनुतनु, ५-(सिद्धी इवा) सिद्धि, ६-(सिद्धालए इवा) सिद्धारय,७-(मुत्ती इवा) भुमित, ८(मुत्तालए इ वा) भुतालय, ६-(लोयम्गे इ वा) a , १०-(लोयग्गथूभिगा इ वा)
स्तु५ि४, ११-(लोयम्गपडिबुझणा इवा) अप्रतिमाधना, १२-(सव्व-पाण