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uterfeit टीका, सु. ९३ सिद्धस्वरूपवर्णनम्
असरीरा जीवघणा दंसणनाणोवउत्ता निट्टियट्ठा निरेयणा पट्ठाणा हवंति ' इति, तत्र ते लोकाग्रप्रतिष्ठानाः सन्तः कीदृशा भवन्तीति जिज्ञासायामाह - ' ते णं' इत्यादि । ' ते णं ' ते = पूर्वनिर्दिष्टा मनुष्याः खलु ' तत्थ ' तत्र लोकाग्रे प्रतिष्ठानं प्राप्ताः सन्तः, 'सिद्धा हवंति' सिद्धा भवन्ति । ते कीदृशा भवन्तीत्याह - 'साइया' सादिकाः = आदिसहिताः, ' अपज्जवसिया' अपर्यवसिताः = अन्तरहिताः - अविनाशिन इत्यर्थः 'असरीरा ' अशरीराः=पञ्चविधशरीररहिताः, अन्ये वदन्ति - सशरीरोऽपि सिद्धो भवतीति तन्मतनिराकरणार्थ
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सेसु मणुया हवंति सव्वकामविरया) यहाँ से लेकर (अट्ठ कम्मपगडीओ खवइत्ता उपि लोयग्गपट्टाणा हवंति) यहाँ तक है । इस सूत्र में यह जो कहा गया है कि वे सिद्ध भगवान् लोक के अग्रभाग में प्रतिष्ठित हो जाते हैं, उसी विषय में अब इस सूत्र द्वारा यह बताया जाता है कि वे सिद्ध भगवान् लोक के अग्रभाग में रहते हुए कैसे होते हैं । वह इस प्रकार है- (ते णं तत्थ सिद्धा हवंति) वे पूर्वनिर्दिष्ट मनुष्य, लोक के अग्रभाग में प्रतिष्ठित होते हुए सिद्ध कहे जाते हैं, वे (साइया अपज्जवसिया) सादि और पर्यवसानरहित होते हैं, अर्थात्-वहां से फिर उन्हें संसार में पीछे जन्म धारण नहीं करना पड़ता है, एतदर्थ उन्हें अपर्यवसित कहा है । अनादिकाल से लगे हुए कर्मों का क्षय करके वे सिद्ध हुए हैं, अतः इस अपेक्षा वे सादि कहे गये हैं । (असरीरा) औदारिक आदि पांच शरीरों से वे सर्वथा रहित होते हैं। कितनेक ऐसा कहते हैं कि सशरीर भी प्राणी सिद्ध होता है, उनके इस सिद्धान्त को दूर करते हुए भगवान ने सिद्धों का ( असरीरा) यह विशेषण दिया है । सन्निवेसे मणुया हवंति सव्वकामविरया) सहीं थी बहने (अट्ठ कम्मपगडीओ खवइन्ता पं लोयग्गपट्टणा हवंति) अडीं सुधी छे. या सूत्रमां ने आा हेवामां आयु छ કે તે સિદ્ધ ભગવંતા લાકના અગ્રભાગમાં પ્રતિષ્ઠિત થઇ જાય છે, તે જ વિષયમાં આ સૂત્ર દ્વારા એમ બતાવવામાં આવે છે કે તેઓ સિદ્ધ ભગવંતા લેાકના अग्रभागमां रÈतां देवा थाय छे. ते या प्रारे छे - ( ते णं तत्थ सिद्धा हवंति ) તે પૂર્વે બતાવેલા મનુષ્ય, લાકના અગ્રભાગમાં પ્રતિષ્ઠિત થઈ જતાં સિદ્ધ उडेवाय छे. तेथे ( साइया अपज्जवसिया ) साहि अने अंत (४न्भ-भरणु )રહિત થાય છે. ત્યાંથી પાછા તેઓને સંસારમાં જન્મ ધારણ કરવા પડતા નથી, તે અમાં તેમને અપર્યવસિત કહેવામાં આવે છે. અનાદ્વિકાળથી લાગેલાં કર્મના ક્ષય કરીને તે સિદ્ધ થયા છે, આથી એ અપેક્ષાએ તેમને સાદિ કહે છે. असरीरा ) मौहारि४ माहि यांन्य शरीरोथी तेथे सर्वथा રહિત થાય છે. કેટલાક એમ કહે છે કે સશરીર પણ પ્રાણી સિદ્ધ હોય છે, तेनां या सिद्धांतने २ ४२तां लगवाने सिद्धोने ' असरीरा' मे विशे