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पीयूषवर्षिणी-टोका. स्व. १ चम्पावर्णनम्. णड-णदृग-जल्ल-मल्ल-मुठिय-वेलंबग-कहग-पवग-लासग-आइक्खगलंख-मंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-अणेगतालायराणुचरिया आराअनेककोटिकौटुम्बिकाकीर्णनिर्वतसुखा, अनेककोटिलंख्याख्येयैः कौटुम्बिकैः अनेक-पुत्रादिपरिवारवद्भिराकीर्णा=याप्ता चासौ निर्वृतसुखा-सम्पन्नसौख्या चेति तथा, जनाया बाहुल्येऽपि सुखसामग्री न तत्र दुर्लभेति भावः । ‘णड-णग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-कहगपग-लासग-आइक्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-अणेगतालायराणुचरिया' नट-नर्तक-जल्ल-मल्ल-मौष्टिक-विडम्बक --कथक-प्लवक-लासका-चक्षक-लङ्ख-मङ्खतूणावत्तुम्बवीणिकानेकतालाचरानुचरिता, तत्र नटा: नाटककारकाः, नर्तकाः कविधनृत्यनिष्णाताः. जल्ला:-रज्जूपरिक्रीडनशीलाः, मल्ला: मल्लक्रीडाकारकाः, मौष्टिकाः मुष्टिनिश्चिन्तरीति से सुखकी निद्रा लिया करती थी। (अणेगकोडिकुटुंबियाइण्णणिव्वुयमुहा ) करोडों कुटुम्बों से इस नगरी के व्याप्त होने पर भी उन्हें यहां किसी भी प्रकार के कष्टका अनुभव नहीं होता था । उन्हें यहाँ प्रत्येक जीवनोपयोगी सामग्री सुलभ थी। (णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-कहग-पवगलासग - आइक्खग - लंख-मंख-तूणइल-तुंबवीणिय-अणेगतालायराणुचरिया) नट-नाटक करनेवालों से, नर्तक-अनेक प्रकारको नृत्यक्रिया में निष्णात व्यक्तियों से, जल्ल-रस्सी पर चढकर विविध प्रकार के खेल तमासे दिखलाकर जनता का मनोरंजन करनेवाले नटोंसे, मल्ल-मल्लक्रीडा में निपुण पहलवानों से, मौष्टिक-मुष्टि से प्रहार करनेवाले मौष्टिकों से, विडम्बक-वेष एवं भाषा आदि द्वारा दूसरों की नकल करके स्वयं हसनेवाले तथा दूसरों को भी उनके चित्तको अनुरंजित करके हंसानेवाले बहुरूपियों से, कथक–अनेक प्रकार की निश्चित शत सुपनी निद्रा ता . ( अणेगकोडिकुडुंबियाइण्णणिव्वुयसुहा) ४२।। मुटुमाथी २॥ नगरी व्यास डावा छतi ५ तभने मही કોઈપણ પ્રકારનાં કષ્ટને અનુભવ થતે નહિ. તેમને અહીં પ્રત્યેક જીવનउपयोगी चीपरतु रो भाती ती. ( णड-णट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलबग-कहग-पवग-लासग-आइक्खग--लंख-मंख--तूणइल्ल--तुंबवीणिय--अणेगतालायराणुचरिया) नट-नाट४ ४२वावापामाथी नर्तक-मने प्रा२नी नृत्यजियामामां નિષ્ણાત એવા પાત્રોથી, નડ્ડ–દેરડાં પર ચઢીને વિવિધ પ્રકારના ખેલતમાસા हेमाडीने नताने भना२०४न ४२वा नथी, मल्ल-भाडामा निपुर पहेसपानाथी, मौष्टिक-मुष्टिया प्रहार ४२वावा भौष्टिाथी, विडम्बक-मेष तेभ साषा (બેલી) દ્વારા બીજાઓની નકલ કરીને પોતે હસે તથા બીજાઓને પણ ખુશી