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________________ पीयूषवर्षिणी-टीका सू ४६ अम्बडपरिव्राजक विषये भगवद्गीतमयोः संवादः ६०७ हिरण्णजुत्ति २६, सुवण्णजुत्ति २७, गंधजुत्ति २८, चुण्णजुत्तिं २९, तरुणीपडिकम्मं ३०, इथिलक्खणं ३१, पुरिसलक्खणं ३२, हयलक्खणं ३३, गयलक्खणं ३४, गोणलक्खणं ३५, कुक्डलक्षण विधिम् २६, 'सुवन्नजुर्ति सुवर्णयुक्ति सुवर्णनिर्माणोपायम् २७, 'गंधजुतिं' गन्धयुक्ति गन्धद्रव्यनिर्माणा प्रधिम् २८, 'चुनजुत्ति' चूर्णयुक्तिं वशीकरणान्तर्धानार्थ तत्तदुचितद्रव्याण्येकत्रीकृत्य तत्पिष्टीकरणविधिम् २९, 'तरुणीपडिकम्म' तरुणीपरिकर्म-युवतीरूपशोभापरिवर्धनविधिम् ३०, 'इत्थिलकखणं' स्त्रीलक्षणम्पमिनीहस्तिन्यादियुवतीनां लक्षणम् ३१. 'पुरिसलक्खणं' पुरुषलक्षणम्-उत्तममध्यमादिपुरुषाणां लक्षणविज्ञानम् ३२, ' हयलकावणं' हयलक्षणं-दीर्धग्रोवाक्षिकूटादिलक्षणविज्ञानम्, 'हयलक्खणं' इत्यत्र समवायाङ्गोक्तस्य 'आससिक्वं' इत्यस्य समावेशः ३३, ‘गयलक्खणं' गजलक्षण= हस्तिशुभाऽशुभलक्षणविज्ञानम् , 'गयलक्खणं' इत्यत्र समवायाङ्गोक्तस्य ‘हत्थिसिक्वं'' इत्यस्य समावेशः ३४, ‘गोणलक्खणं' गोलक्षणं-सास्नाविकला अतिरूक्षा मूषिकनयनाश्व न शुभदा गावः' इत्यादिविज्ञानम् ३५, 'कुकुडलक्रवणं' कुक्कुटलक्षणम् , 'कुक्कुडलवरवण नजुर्ति) सुवर्णनिर्माण करने की विधि की, (२८ गंधजुर्ति) गंधद्रव्य को बनाने की विधि की, (२९ चुनजुति) वशीकरण आदि चूर्ण को बनाने वाली औषधियों को एकत्रित कर उनकी पिष्टी करने की विधि की, (३० तरुणीपडिकम्म) युवती के रूप की शोभा बढ़ाने की विधि की, (३१ इत्थिलक्खणं) पानी, हस्तिनी आदि युवतियों को जानने के लक्षणों की, ३२ पुरिसलकवणं) पुरुषों को पहिचानने के लक्षणों की, (३३ हयलकवण) अश्वों के लक्षणों को जानने की तथा उनको चलाने की (३४ गयलक्खणे) हाथी के लक्षणों को जानने की, यहाँ पर समवायांग में उक्त 'हत्थिसिक्वं' हस्तिशिक्षा कला का समावेशी हुआ है, (३५ गोणलक्खणं) गाय के लक्षणों को जानने की, (३६ कुक्कुडलक्षणं) कुक्कुटण्णजुत्ति) याही मनापानी विधिनी, २७ (सुवन्नजुत्ति) सुप निभा ४२वामी विधिनी, २८ (गंधजुत्ति) अपद्रव्य समाधानी विधिनी, २८ (चुन्नजुत्ति) વશીકરણ આદિ ચૂર્ણ બનાવવાની ઔષધીઓને એકઠી કરી તેને પીસવાં (4टी' नाम)नी विधिनी, 30 (तरुणीपंडिकम्म) युक्तांना ३पनी शाला धारपानी विधिनी, ३१ (इत्थिलक्खणं) पमिनी, स्तिनी साहि युवतीमा ने पानi सक्षपानी, 3२ (पुरिसलक्खण) पुरुषोने onपामा संक्षणांनी, 33 (हयलक्खण) घोडानi Aapl onानी तथा भने यसiqानी, ३४ (गयलक्खणं) डाथीनां सक्षणे। oneyपानी, सडी सभपायांमा ‘हत्थि
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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