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विषय
पृष्ठ ३६ सुभद्रा आदि रानियों का अपनी २ दासी आदि परिवार के
साथ सज-धज कर पूर्णभद्र उद्यान में भगवान के दर्शन के
लिये उचित प्रतिपत्ति के साथ जाना और खडी २ भगवान ...की पर्बुपासना करना । .... .... ... ... ४३५-४४२ ३७ भगवान की धर्मदेशना ।.... ... .... .... ४४२-४७३ ३८ अनगार-धर्म की निरूपणा । ....
.... ४७४-४८३ ३९ भगवान के पास बहुतों की प्रव्रज्या लेना और बहुतों का गृहस्थ- धर्म स्वीकार करना। .... .... .... ... ४८४-४८६ ४० परिषद का अपने २ स्थान पर जाना । ...... .... ४८६-४८८ ४१ कूणिक राजा का अपने स्थान पर जाना । ....
४८९-४९० ४२ सुभद्रा-आदि रानियों का अपने २ स्थान पर जाना ... ४९१-४९३ ॥ इति समक्सरण नामक पूर्वार्ष की विसामाणिक
॥ अथ उत्तरार्धं की विषयानुक्रमणि का ॥ .. १ गौतमत्वामी का वर्णन । ... .... .... ४९४-४९८ २ गौतमस्वामी का भगवान के समीप जाना। .... ... ४९९-५०२ ३ पापकर्म के विषय में गौतमस्वामी का प्रश्न, और भगवान का उत्सर।
.... .... .... .... ५०२-५०३ ४ मोहनीय कर्म के बन्ध के विषय में गौतमस्वामी और भग. बान का प्रश्नोत्तर। .... ... .... .... ५ मोहनीय कर्म के वेदन करते हुए के कर्मबन्ध के विषय में
गौतमस्वामी और भगवान का प्रश्नोत्तर । ..... .... ५०५-५०६ ६ त्रस-प्राणघातियों के नरक में उपपात के विषय में गौतम
और भगवानका प्रश्नोत्तर। ... ७ असंयतों के उपपात-विषय में गौतम स्वामी और भगवान का
प्रश्नोत्तर, तथा असंयतों के देवरूप में उपपात होने में
भगवान द्वारा हेतु का कथन । .... .... ... ५०८-५१२ ८ अण्डुबद्धक-आदि के विषय में गौतम और भगवान का प्रश्नोत्तर । ५१३-५२० ९ प्रकृतिमद्रक-आदि के उपपात-विषय में गौतम और भगवान का प्रश्नोत्तर।
... ५२१-५२३
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