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औपपातिकसूत्रे जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणोवाउभक्खिणो सेवालभविखणोमूलाहाराकंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहाराबीयाहारा भूमिगृहवासिनः, 'जलवासिणो' जलवासिनः-ये जले प्रविष्टा एव निवसन्ति ते, 'रुक्खमूलिया' वृक्षमूलकाः-तरुतले ये निवसन्ति ते, 'अंबुभक्विणो' अम्बुभक्षिणः= जलाहारकारिणः, 'वाउभक्खिणो' वायुभक्षिणः पवनाहाराः, 'सेवालभक्खिणो' शैवालभक्षिणः-शैवालं जललतां भक्षन्ति तच्छीलाः-जलोपरिस्थितहरितवनस्पतिविशेषभोजिन इत्यर्थः, 'मूलाहारा' मूलाहाराः-मूलानि आहरन्ति तच्छीलाः, 'कंदाहारा' कन्दाऽऽहाराः= सूरणादिकन्दभक्षिणः, ' तयाहारा' त्वगाहाराः निम्बादित्वग्भक्षिणः, ‘पत्ताहारा' पत्राऽऽहाराः बिल्वादिपत्रभक्षिणः, 'पुप्फाहारा' पुष्पाऽऽहाराः कुन्दशोभाञ्जनादिपुष्पभक्षिणः, 'बीयाहारा' बीजाऽऽहाराः कूष्माण्डादिबीजभोजिनः, ‘परिसडिय-कंद-मूल-तयपत्त-पुप्फ-फला-हारा' परिशटित-कन्द-मूल-त्वक्-पत्र-पुष्प-फला-ऽहाराः-- परिशटितं केनचिदानीतं स्वयं पतितं च परिशटितम् , तादृशं कन्दमूलत्वपत्रपुष्पफलम् आहरन्ति तच्छीला:-केन चित् आनीतानि तरुभ्यः स्वयं पतितानि वा पत्रपुष्यफलान्येव करने वाले, (जलवासिणो) जल में खड़े रहने वाले, (रुक्खमूलिया) वृक्ष के नीचे निवास करने वाले, (अंबुभक्खिणो) मात्र जल का आहार करने वाले, (वाउभक्विणो) मात्र वायु का ही आहार करने वाले, (सेवालभक्खिणो) मात्र शैवालका ही आहार करने वाले, (मूलाहारा) मात्र मूल का ही आहार करने वाले, (कंदाहारा) सूरणादिक कंदों का आहार करने वाले, (तयाहारा) त्वक् छालका आहार करने वाले, (पत्ताहारा) बिल्व आदि के पत्तों का आहार करने वाले, (पुप्फाहारा) पुष्पों का आहार करने वाले, (परिसडियकंद-मूल-तय-पत्त-पुप्फ-फला-हारा) तोड़ कर या स्वयं लाये हुए नहीं, किन्तु स्वयं निवास ४२वावा, (जलवासिणो) rawine SAL २९वावा, (रुक्खमूलिया) वृक्षनी नीय निवास ४२११, (अंबुभक्खिणो) भात्र पाणीना माहार ४२पापा, (वाउभक्खिणो) मात्र वायुना माहा२ ४२वावा, (सेवालभक्खिणो) मात्र शैवानी माडा२ ४२११, (मूलाहारा) मात्र भूगनी माहार ४२वावा, (कंदाहारा) सूर माहिना माहा२ ४२वावा, (तयहारा) १५छासन। माडा२ ४२वावा, (पत्ताहारा) भीसी माहि पानने। माडार ४२१।पा, (पुप्फाहारा) पुण्यानो माहा२ ४२वावा, (बीयाहारा) भांड माहिना मीने माडा२ ४२११, (परिसडिय-कंद-मूल-तय-पत्त-पुप्फ-फलाहारा) तडीने અથવા પિતે લાવેલ ન હોય પરંતુ પોતાની મેળે પડી ગયેલાં અથવા કેઈએ