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विषयानुक्रमणिका
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४५-४९
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१ मङ्गलाचरण । . .... २ शास्त्रोपोद्घात । .... ३ चम्पानगरी-वर्णन। ....
...... ४-१९ ४ पूर्णभद्रचैत्य-वर्णन। ....
... . २०-२६ ५ वनषण्ड-वर्णन। .. .... ६ वृक्ष-वर्णन । ...
.. २९-४१ ७ अशोकवृक्ष-वर्णन । ......
.३९-४१ ८ तिलकादिवृक्ष-वर्णन । ....
४२-४४ ९ पद्मलता-आदिका वर्णन.... १० पृथ्वीशिलापट्टक वर्णन ... ११ कूणिक राजाका वर्णन ।
... ४९-५८ १२ धारिणी देवीका वर्णन ।
... ५८-६२ १३ भगवान के विहार आदि समाचार लाने के लिये नियुक्त
प्रवृत्तिव्यापृत-पुरुष और उसके अधीन पुरुषोंका वर्णन । ... ६३-६५ १४ उपस्थान शाला में स्थित राजा कूणिक का वर्णन । ....... ६५-६७ १५ भगवान महावीर स्वामी का वर्णन ।.... ... . १६ भगवान के आगमन के समाचार को जान कर प्रवृत्तिव्याप्त ". का राजा कूणिक के समीप जाना और उपनगर ग्राम में
भगवान के आगमन-वृत्तान्त का निवेदन करना। ... १०५-११० १७ भगवान का आगमन वृत्तान्त सुन कर कृणिक राजा को हर्षे
होना, और अपने राजचिह्नों को छोड़ कर, भगवान की तरफ मुँह कर, दोनों हाथ जोड कर सिद्धोंको और भगवान महा- वीर स्वामी को 'नमोत्थु गं' देना, और कूणिक राजा द्वारा प्रवृत्तिव्यापृत का सत्कार । ...
... १११-१३७ १८ पूर्णभद्र-उद्यान में भगवान के पधारने का वृत्तान्त निवेदन । __ करने के लिये प्रवृत्तिव्यापृत को कूणिक की आज्ञा ।
१३८ १९ पूर्णभद्र-उद्यान में भगवान का आगमन। ....
१३९-१४१ २० भगवान के अन्तेवासियों (शिष्यों) का वर्णन । .... १४२-२०३
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का वर्णन।
.... ६८-१०४