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औपपातिक
लिया पसत्थज्झाण-तव-वाय- गोलियपहाविएणं उजमववसायग्गाहिय- णिजरण - जयण- उद्योग जाण दंसण-[चरित] विसुद्धएणं' सम्यक्त्वविशुद्धलब्धनिर्यामकेण सम्यक् रूपो विशुद्रो निर्दोष लब्धः = प्राप्तो निर्यामकः= कर्णधारो -- नौकावाहको यत्र स तथा तेन, सरूपकर्णवारयुक्तेनेत्यर्थः ; धीराः - स्थिरस्व भावाः, 'संजमपोएण' संयमपोतेन =सीयमनौ या । 'सीलकलिया' शीलकलिता:--अष्टादशसहस्रशीलाङ्गरथधारकाः—शीलसंयुक्ताः; 'पसह ज्झाग तनवायपणोलिय पहा बिएणं' प्रशस्तध्यानतपोवातप्रगोदित प्रधावितेन - प्रशस्तं ध्यानं धर्मशुकादिकं तद्रूपं तपः तदेव बातो वायुः, तेन प्रणोदितः = प्रेरितः, अतएव प्रधावितस्तेन, 'उज्जम-वत्रसाय-ग्गहिय- गिज्जरण-जयणउवओगगाणदंसगचरितविद्धवयवरभंडभरेयसारा' उद्यमव्यवसाय गृहीतनिर्जरगयतनोपयोगज्ञानदर्शनचारित्रविशुद्वतवर भाण्डभृतसारा उद्यमः = प्रमादपरित्यागः व्यसायो - मोक्षप्राप्तिनिश्चयः- ताभ्यां मूल्यरूपाभ्यां यद्गृहीतं क्रीतं नि रंगयतनोपयोगज्ञानदर्शनचारित्रविशुद्रं व्रतवरं= विशुद्ध सम्यक्त्व ही नियमक-कर्णधार के रानापन है, अर्थात् विशुद्ध समकित का लाभ जिसमें खेवटिया के समान है । (पसत्य-ज्झाणत वाय-पणोलिय-महाविएणं) प्रशस्त ध्यानरूप तपरूपी वायु से प्रेरित होकर जो आगे २ बढता रहता है । इस तरह इन पूर्वोक्त विशेषणों से विशिष्ट इस संयमरूपी हाज के द्वारा इस साररूप अभार दुस्तर समुद्र को (धीरा) धीरवीर स्थिर स्वभाववाले मु (जन ही (तरंति) पार करते हैं । अब यहां से मुनिजनों के लिये प्रयुक्त विशेषणों का अस्पष्ट किया जाता है - ( सीलकलिया) ये मुनिजन-शील - १८ हजार शील के भेदों को भाण करने वाले हैं। (उज्जम-मवसान ग्गहियणिज्जरण - जयण उवओग-गाग-दंसण-[चरित विमुद्धवयरमंडभरियसारा) उद्यम अर्थात्
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જેમાં વિશુદ્ધ સમ્યકત્વ જ નિર્યામક-ક ધા ને સ્થાને (સુકાની) છે, અર્થાત્ વિશુદ્ધ समतिनो साल ४ मा सुभनीना भान है ( पसत्य-ज्झाण-तव- वाय-पणोल्लिय - पहा विएणं) પ્રશસ્ત ધ્યાનરૂપ રરૂપી વાયુથી પ્રેરિત થઇને આગળ આગળ વધતા રહે છે. એ રીતે પૂર્વોક્ત વિશેષણાથી વિશિષ્ટ આ સંયમરૂપી વહાણુદ્વારા સંસારરૂપ અપાર સ્તર સમુદ્રને ધીર વીર સ્થિર સ્વભાવ वाजा भुनिन्नो ४ (तरंति) पार उरे छे. हुवे नहीं थी भुनिन्नो भाटे साडेसां विशेषशाना अर्थ स्पष्ट वामां आवे है - (सीलकलिया) से भुनिन्नो शीस१८ डलर शीसना प्रकारने धारण उरवावा! छे (उज्जम ववसाय-ग्गाहिय-गिज्जरण-जयण-उवओग-णाण- दंसण-[ चरित्त]- विसुद्ध यवर- भंड- भरिय - सारा) उद्यम अर्थात्
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