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वि. टीका, श्रु० १, अ० १, एकादिराष्ट्रकूटस्य वैद्यादिकृतोपचारः
त्वचः मतनूकरणैश्चेत्यर्थः, 'सिरवत्थीहि य' शिरोब स्तिभिश्च = शिरसि चर्मकोशं दत्त्वा तत्र संस्कृततैलादिपूरणैश्चेत्यर्थः, 'तप्पणेहि य' तर्पणैश्च - स्निग्धद्रव्येण शरीरसंवाहनैश्व 'पुडपागेहि य' पुटपाकैश्च = पाकविशेषनिष्पन्नौषधविशेषश्च, 'छल्लीहि य' छल्लीभिश्र = निम्बादित्वग्भिच, 'वल्ली हि य' वल्लीभिश्च = गुडूच्यादिलताभिश्व, 'मूलेहि य कंदेहि य पुष्फेहि य पत्ते हि य फलेहि य बीजेहि य' मूलैश्च कन्देश्व, पुष्पैश्व, पत्रैश्च, फलैश्व, बीजैश्व, 'सिलियाहि य' शिलिकाभित्र, शिलिका = किराततिक्तः 'चिरायता' इति प्रसिद्ध ओषधिविशेषः, 'गुलियाहि य' yonifier 'autre य' औषधैश्व 'भेसज्जेहि य' भैषज्यैश्व - अनेकौषधिमिश्रितरूपैः, 'इच्छंति' इच्छन्ति 'तेसिं सोलसण्डं रोगायंकाणं एगमवि रोगायक क्षुरा आदि से छीलने आदि द्वारा, 'सिरबत्थीहि य' शिरोबस्तिसिर में चर्मका कोस बांधकर दबासे निर्मित तैल के भरने द्वारा, 'तपणेहि य' तर्पण - स्निग्ध द्रव्यसे शारीरिक मालिश द्वारा 'पुडपागेहि य' पुटपाक - पाकविशेष से तैयार की गई ओषधियों द्वारा, 'छल्लीहि य ' नीम वगैरह की भीतरकी छाल द्वारा, 'वल्लीहि य' गुडूची आदि लताओं द्वारा, 'मूलेहि य, कंदेहि य, पुष्फेहि य, पत्ते हि य, फलेहि य, वीहि य, सिलियाहि य, गुलियाहि य, ओसहेहि य, भेसज्जेहि य' मूल, कन्द, पुष्प, पत्र, फल, बीज, शिलिका-चिरायता, गुलिका, औषध और भैषज्यरूप अनेक ओषधियों से मिश्रित दबा- विशेष द्वारा 'सिरबत्थीहि य' शिशमस्ती - शिरभां याभडाना अश नाणी हवाथी मनावेसु तेलना लवा द्वारा, 'तप्पणेहि य' तर्पथु - स्निग्ध द्रव्यथी शारीरिक भासिश द्वारा, 'पुडपागेहि य' युटया - पाविशेषथी तैयार रैली मोषधियो द्वारा, ' छल्लीहि य ' सींगडा वगेरेनी अंतरछाल द्वारा, 'वल्लीहि यं' गणो आहि सताओ द्वारा, 'मूलेहि य, कंदेहि य, पुष्फेहि य, पत्तेहि य, फलेहि य, बीएहि य, सिलियाहि य, गुलियाहि य, ओसहेहि य, भेसज्जेहि य' भूस, हुन्छ, ड्रेस, यंत्र, इज, जीव, કરીઆતુ,ગુલિકા, ઔષધ અને ભ્રષજ્ય આદિ અનેક ઓષધિઓથી મિશ્રિત દવાવિશેષ દ્વારા
શ્રી વિપાક સૂત્ર