________________
૮૨૮
प्रश्रव्याकरणसूत्रे
मत्स्यण्डिका='मिश्री'ति प्रसिद्धा च यस्मात्सः, तथा-मधुप्रसिद्धम् , खाद्यकं 'खाजा' इति प्रसिद्धम् , इत्यादि लक्षणाभिः विकृतिभिः परित्यक्तो यः सः, अनयोः कर्मधारयः, एतद्रूपो यः आहारः स कृतो येन स तथोक्तः, अन्त-प्रान्तभोजीत्यर्थः निष्ठान्तस्य पूर्वनिवातः, एतादृशः साधुः 'न' नैव — दप्पणं' दर्पणं-दर्पकारक भोजन भुञ्जीत । तथा-न ‘बहुसो' बहुशः दिनमध्येऽनेकवारं भोजनं कुर्वीत । तथा-' न निइगं' नैत्यिक-नित्यपिण्डं भुञ्जीत, तथा-न 'सायसूप्पाधिगं' शाकम्पाधिकंभोजनं भुञ्जीत । तथा-'खद्धं' प्रचुर भुजीत । कथं तर्हि भोक्तव्यम् ? इत्याह- तहा' तथा · भोत्तव्यं ' भोक्तव्यम् , 'जहा' यथा-तद् भोजनं 'से' तस्य ब्रह्मचारिणः, 'जायमायाए ' यात्रामात्रायै, यात्रायै-संयमयात्रानिर्वाहार्थ या मात्रा-आहारपरिमाणरूपा भगवनिर्दिष्टा सा यात्रामात्रा तस्यै, शर्करा, मिश्री, इनसे रहित तथा मधु खाजा, इत्यादिरूप विकृतियोंसे रहित आहार करना चाहिये । अर्थात् साधुको अन्त प्रान्तभोजी होना चाहिये। जो साधु इस प्रकार का आहार लेता है वह युक्त नहीं हैं-उसे (न दप्पणं) दर्पकारक भोजन नहीं करना चाहिये (न बहुसो) न दिन में अनेक बार भोजन करना चाहिये ( न निइगं) न उसे नित्य पिंड भोजी ही होना चाहिये और (न सायसूवाहिय) न उसे शाक और दाल की अधिकतावाला भोजन ही करना चाहिये ( न खदं) न उसको प्रचुरमात्रा में भोजन करना चाहिये। किन्तु इस प्रकार से भोजन करना चाहिये कि (जहा ) जिससे वह भोजन (से ) उस ब्रह्मचारी की (जायामायाए भवइ ) यात्रा मात्रा के लिये हो अर्थात् संयम के निर्वाह के लिये हो । यात्रामात्रा का तात्पर्य है कि संयमनिर्वाह रूप यात्रा के लिये आहार का परिमाण जितना प्रभु ने निर्दिष्ट किया है वह आहार રહિત તથા મધ, ખાજા ઈત્યાદિ વિકૃતિઓથી રહિત આહાર કરવો જોઈએ. એટલે કે સાધુએ અન્ત પ્રાન્તભેજી થવું જોઈએ. જે સાધુ આ પ્રકારનો આહાર से छे तो " न दप्पणं” ४५४२४ सोनसेन नही. “न बहुसो" हिवसमा मने वा२ मन सेनये नही “ न निइगं" तेणे नित्यपि सो थन नही, भने “न सायसूवाहियं" तेणे थारे युत मान से नही “न खई" तणे पधारे प्रभाशुभ न ४२७ नये नडी. ५५ मेवी रीते लोन ४२ ले “जहो" थी ते मौन "से" ते प्रायोशनी “ जायामायार भवइ " यात्रमात्राने मोट હાય, એટલે કે સંયમના નિર્વાહ માટે જ હોય. યાત્રામાત્રાનું તાત્પર્ય એવું છે કે સંયમ નિર્વાહરૂપ યાત્રાને માટે ભગવાને આહારનું જેટલું પ્રમાણ દર્શાવ્યું
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર