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प्रश्रव्याकरणसूत्रे त्वात् ५०, 'वीसाओ' विश्वास प्राणिनां प्रतीतिजनकत्वात् , यद्वा-प्राणिप्राणस्याविरुद्धसमाचरणलक्षणः ५१, अभओ' अभयः-निर्भयहेतुत्वात् ५०, 'सव्वस्सविअमाधाओ' सर्वस्यापि सकलपाणिगणस्य अमाघातः-मा लक्ष्मीः, सा च द्वेधाधनलक्ष्मीः प्राणलक्ष्मीच, तस्या घातो हननं माघातो, न माघातः अमाघात:अमारिः स्वपदद्वारा प्राणिनां प्राणत्राणकरणात् ५४, 'चोक्ख' चोक्षा-पवित्रादपि पवित्रा-कर्ममलापहारकत्वात् ५४, 'पवित्ता' पवित्रा आत्मनैमहेलतुत्वात् ५५, प्रमाद है ४९। परप्राणियों को यह तृप्ति का कारण होतीहै इसलिये इसकानाम ( अस्साओ) आश्वास है ५० । प्राणियों में यह प्रतीति उत्पन्न करा देती है इसलिये इसका नाम (वीसाओ) विश्वास है। अथवा प्राणियों के प्राणों के विरुद्ध आचरण इसमें नहीं होता है इसलिये भी इसका नाम विश्वास है ५१ । प्राणियो को यह भयरहित बना देती है। इसलिये निर्भय की हेतु होने से इसका नाम अभय है ५२। दूसरे जीवों की मा-धन-लक्ष्मी और प्राणरूपलक्ष्मी का इसमें घात नहीं होता है इस लिये इसका नाम ( अमाघाय ) अमाघात है । मा शब्द का अर्थ लक्ष्मी होता है-धन रूप लक्ष्मी और प्राणरूप लक्ष्मी के भेद से यह लक्ष्मी दो प्रकार की होती है । अहिंसा से इन दोनों का संरक्षण होता है यह बात प्रत्यक्ष है इसलिये इसका नाम अमाघात है ५३। यह अहिंसा पवित्र वस्तुओं से भी है अतिपवित्र है इसलिये इसका नाम (चोंक्खा) चोक्षा है ५४ । इससे आत्मा के ऊपर जमा हुआ अनादिकाल का मैल-विभाव परिणति दूर हो जाती है। अतःआत्मा निर्मल-अपने स्वरूप में मग्न-हो प्राणायाम ते प्रतीति उत्पन्न ४२ छ तथा तेनु नाम “वीसाओ" विश्वास છે. અથવા પ્રાણીઓનાં પ્રાણેનાં વિરૂદ્ધનું આચરણ તેમાં થતું નથી, તેથી પણ તેનું નામ વિશ્વાસ છે. (૫૧) પ્રાણીઓને તે ભય રહિત કરે તેથી નિભ यताने माटे ४२ भूत पाथी तेनु नाम “अभय" छे. (५२) मी वानी મા-ધન-લક્ષ્મી અને પ્રાણરૂપ લક્ષમીને તેમાં ઘાત થતું નથી, તેથી તેનું નામ “ अमाघाय " अमाघात छ. 'मा' शहने अर्थ सभी थाय छ-चन३५ લક્ષ્મી અને પ્રાણરૂપ લક્ષ્મી, એ રીતે તેના બે પ્રકાર પડે છે. અહિંસાને એ બંનેનું સંરક્ષણ થાય છે તે વાત પ્રત્યક્ષ છે. (૫૩) તે અહિંસા પવિત્ર વસ્તુઓ ४२ता ५५ पधारे पवित्र छ, तेथी तेनु नाम " चोक्खा” चोक्षा छे. (५४) તેનાથી આત્મા ઉપર જામેલો અનાદિકાળને મેલ-વિભાવ પરિણતિ-દૂર થઈ જાય છે, તેથી આત્મા પિતાનાં નિર્મળ સ્વરૂપમાં મગ્ન થઈ જાય છે. તે કારણે
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર