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प्रश्नव्याकरणसूत्रे वतः सुन्दरे तन्-प्रतले कृष्णे-कृष्णवर्णे स्निग्धे-चिक्कणे ध्रुवौ यासां तास्तथा । ' अल्लीणपमाणजुत्तसवणा' आलीनप्रमाणयुक्तश्रवणाः = आलीनौ स्तब्धौ प्रमाणयुक्तौ समुचितप्रमाणौ श्रवणौ-कौँ यासां तास्तथा एतावदेव न ? किन्तु " सुस्सवणा' सुश्रवणाः = शब्दग्रहणशक्तिसम्पन्नयुक्ताः, 'पीणमद्वगंडलेहा' पीनमृष्ट गण्डरेखाः पीना-पुष्टामृष्टा-मस्णा मुकुमारा गण्ड रेखा-कपोल पाली यासां तास्तथा 'चउरंगुलविसालसमनिडाला' चतुरंगुलविशालसमललाटा = चतुरंगुलं-चतुरंगुलप्रमाणं विशालं-विस्तीर्ण समसमतलं ललाटं यासां तास्तथा 'कोमुई रयनियरविमलपडिपुण्णसोम्मवयणा' कौमुदी रजनीकर विमलप्रतिपूर्ण सौम्यवदनाः कौमुदी कार्तिकी पूर्णिमा तस्या यो रजनीकरः = चन्द्र तद्वत् विमलं-निर्मलं प्रतिपूर्ण सौम्यं सुभगं वदनं यासां तास्तथा कार्तिकीपूर्णचन्द्रवदनाः, 'छत्तुण्णयउत्तमंगा' छत्रोन्नतोत्तमाङ्गाः छत्रवत्समुछितमस्तकाः 'अकवि लसुमिणिद्धदीहसिरिया । अकपिलसुस्निग्धदीर्घशिरोजाः = अकपिला = अपि केसमान रुचिर, कृष्णमेघराजि के समान, संस्थित, संगत-उचित आकारयुक्त, आयत-दीर्घ, सुजात-स्वभावतः सुन्दर, तनु-पतली, कृष्ण-कृष्णवर्णोपेत, और स्निग्ध-चिकनी होती हैं। (अल्लीणपमाणजुत्तसवण्णा ) आलीण-स्तब्ध एवं समुचित प्रमाण से युक्त इनके दोनों कान होते हैं । (सुस्सवणा) तथा ये दोनों ही कान शब्दग्रहण. करने की शक्ति से युक्त होते हैं । (पीणमट्टगंडलेहा ) इनकी कपोलपाली पीन-पुष्ट और मृष्ठ-सकुमार होती है। (चउरंगुलविसाल समनिडाला ) इनका विस्तीर्ण ललाट चार अंगुल प्रमाणवाला होता है तथा सम-समतल होता है । ( कोमुईरयनियर विमल पडिपुण्ण सोम्मवयणा) इनका मुख कार्तिकी पूर्णिमा के चंद्रमंडल के समान निर्मल तथा पूर्ण होता है । सुभग होता है । (छतुण्णयउत्तमंगा ) समुच्छित विस्तारित छत्र के समान इनका मस्तक उन्नत होता है ! (अकविल सुसिणिद्धसात-सु3101, आयत-aivl, सुजत-४२ती शेते सु४२, तनु-पाती,
॥ नी भने स्निग्ध-भुसायम हाय छ. “अल्लीणपमाणजुत्तसवण्णा" तमना मन्ने छान स्त५५ अने सप्रमाण जाय छे. “ सुस्सवणा" भन्ने अननी श्रवणशति ५५ स२स डाय छे. “पीणमद्रगंडलेहा" तमना पस पुष्ट मने सुमा२ हाय छे. “चउरगुलविसालसमनिडाला " तमनु विशा साट यार म पाणुसने समतल डाय छे. “कोमुई-रय-नियरविमल पडिपुण्णसोम्मवयणा" तभनु भुप छाती पूनमना यन्द्रभ3 निर्म तथा पूर्ण हाय छे. “छत्तुण्णयउत्तमंगा" विस्ती छत्र समान उन्नत तभनु मस्त होय छे. “ अकविलसुसिणिद्धदीहसिरया " तेमनां माथा ५२ना
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર