SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 526
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नव्याकरणसूत्रे जंघजुयला सुणिम्मिय सुणिगूढजानु मंसलपसत्थ- सुबद्धसंधी कयली खंभाइरेग-संठियानिव्वणसुकुमालमउय- कोमल - अविरल - समसंहिय सुजाय वट्टपीवर निरंतरोरू अट्ठावयवी पट्ट संठियपसत्थ - विस्थिपण पिहुल-सोणीवयणश्यामप्पमाणदुगुणिय-विसाल मंसल - सुबद्ध- जहणवर-- धारिणीओ वज्जवि - राइयपसत्थलक्खणनिरोदरीओ तिवलिवलियतणुनमिय मझियाओ उज्जुय - समसंहिय- जच्चतणुकसिण निद्धआदेज्जलडहसुकुमालमउय सुविभत्तरोमराईओ गंगावत्तगदाहिणावत्ततरंग-भंगुररविकिरणतरुणवोहिय विको सायं तपउम गंभीर विगडनाभीओ अणुब्भडपसत्थसुजाय पणिकुच्छीओ सन्नयपासासंगयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मियमाइय पणिरइयपासा अकरंडुयकणगरुयगनिम्मलसुजाय निरुवहयगायलट्टीओ कंचणकलसप्पमाणसमसंहितलट्टचूचुय आमेलगजमल, जुयलवट्टियपओहराओ भुयंग - अणुपुव्व - तणुय गोपुच्छवट्टसमसंहिय-नमिय- आजलडहवाहातंबनहा मंसलग्गहत्था कोमलपोवरवरंगुलीया || सू० १२ ॥ टीका - ' तेर्सि' तेषाम् = उत्तरकुरुदेव कुरु निवासियुगलिकानां ' पमयाविय' प्रमदा अपि च स्त्रियोऽपि ' होति' भवन्ति । कीदृइयो भवन्ति ? इत्याह મુ अब सूत्रकार इन युगलिकों की स्त्रियों के विषय में कथन करते हैं। पमया विय तेसिं' इत्यादि० | 6 टीकार्थ - (तेसिं) उन उत्तरकुरू निवासी युगलिकों की ( पमयाविय ) स्त्रियां भी ( होंति) ऐसी होती हैं। कैसी होती हैं ? सो कहते हैं- (सोम्मा) હવે સૂત્રકાર એ યુગલિકાની સ્ત્રીઓનું વર્ણન કરે છે. afer" seule. पमया विय टीअर्थ–“तेसि” ते उत्तर गुरु अरे देवपुरु निवासी युगलिओनी “पमयाविय" श्रीयो पशु " होंति ” सेवी ४ होय छे, ते सीमा देवी होय छे? तो શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર
SR No.006338
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1010
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_prashnavyakaran
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy