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________________ जिन के प्रतापसे बादशाङ्गी की वाचना हमें प्राप्त हुई उन मुधर्मस्वामी का परिचय शब्द-सिद्धिद्वारा बताया गया है। उन्हीं के पट्टशिष्य श्री जम्बूस्वामी श्रेणिक राजा के राजगृहनगर के बाहर गुणशिल उद्यान में विराजकर श्री सुधर्मस्वामी से विनय के साथ अन्तकृतस्त्र सुनलेने के बाद अनुत्तरोपपातिक सूत्र को सुन रहे हैं, सुनने के समय उनकी गुरुभक्ति और नवीन जानने की हार्दिक जिज्ञासा स्पष्ट दिखाई देती हैं उन्हें श्री महावीर प्रभु के प्रति आदर्श भाव कैसे थे इसके लिये आद्य स्तुति की पंक्तिबद्ध उत्कृष्ट रचना हृदयङ्गम करने योग्य है। - प्रथम वर्ग :_(१) श्री जम्बूस्वामी को जालि, मयालि, उपजालि, पुरुषसेन, वारिषेण, दीर्घदान्त, लष्टदान्त, वेहल्ल, वैहायस और अभयकुमार, इन दस संपत्तीशाली राजकुमारों का जीवनवृत्तान्त जानने की इच्छा से लालायित जानकर श्री सुधर्मस्वामी उसी समय विना संकोच शिष्य का ज्ञान विकास के लिये तथा भवीजीवों के उपकार के लिए जालिकुमार का वर्णन अनुक्रमसे सुनाते हैं । किसी भी त्यागी पुरुष की जीवनिका का सम्बन्ध उनके आद्यजीवन से जुडा हुवा रहता है, सुननेवाला जबतक पूर्वदशा को जान न ले तब तक जीवनकी उत्तर दशा को भलीभाति समज्ञ नहीं सकता, इसी कारण श्री सुधर्मस्वामी-'उस काल, उस समय' 'राजगृह नगर' 'गुणशिल उद्यान 'श्रेणिक राजा''धारिणी देवी' आदि का नाम दे दे कर उस समय की स्थिति का ठीक तरहसे ज्ञान कराते हैं। श्री अनुत्तरोपपातिक सूत्र के प्रथम वर्ग में वर्णित आद्य महापुरुष जालिकुमार कोई साधारण व्यक्ति नहीं था, परन्तु वह मगधाधिपति राजा श्रेणिक का स्वरूपवान् पुत्र था। लालन पालन तथा बहत्तर कलाका अध्ययन ज्ञाता सूत्र में वर्णित मेघकुमार की तरह बताकर उन के जीवन की तुलना हर एक व्यक्ति कर सके' ऐसा स्पष्ट શ્રી અનુત્તરોપપાતિક સૂત્ર
SR No.006337
Book TitleAgam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages218
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size10 MB
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