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अन्तकृतदशाङ्गसूत्रे पलालकरः-पलालः-खलमर्दितत्रीह्यादिनिस्सृतवणविशेषस्तस्य करः,(८) बुसकर:धान्यतुषकरः, (९) काष्ठकरः, (१०) अङ्गारकरः- अङ्गारः 'कोयला' इति भाषाप्रसिद्धस्तस्य करः, (११) लाङ्गलकरः- हलकरः, (१२) देहलीकरः- गृहकर इत्यर्थः, (१३) जङ्घाकरः- मनुष्यकर इत्यर्थः, (१४) बलीचर्दकरः, (१५) घटकरः, (१६) कर्मकरः-कर्माश्रित्य करः- सुवर्णकारादिशिल्पिभ्यो रूप्यकया.
(६) तृणकर-घास का कर । (७) पलालकर-चावल आदि निकाले हुए घासका कर । (८) बुसकर-भूसे का कर। (९) काष्ठकर-लकडी का कर । (१०) अंगारकर-कोयले का कर । (११) लांगलकर-हल पर लगने वाला कर । (१२) देहलीकर-घरों पर लगने वाला कर । (१३) जङ्घाकर-मनुष्यों पर लगने वाला कर । (१४) बलीवर्दकर-बैलों का कर । (१५) घटकर-घडों का कर ।
(१६) कर्मकर-सुतार आदि शिल्पी जातियों पर लगने वाला कर।
(६) तृणकर घास ना ४२. (७) पलालकर माथी या 16 सीधे जय ता पास ५२।। ४२. (८) बुसकर भूसाना ४२. (6) काष्ठकर खाने। ४२. (१०) अंगारकर अयान ४२. (११) लांगलकर 8 ५२न। ४२. (१२) देहलीकर ३२ रन ४२. (१३) जंघाकर मनुष्यो ५२ Aail ४२. (१४) बलीबदेकर महनी ४२. (१५) घटकर घर B५२ने। ४२. (१६) कर्मकर सोनी मा Nिeी तिमे। पासेया सेवात ४२.
શ્રી અન્તકૃત દશાંગ સૂત્ર