SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांचवां वर्ग पांचवें वर्ग के प्रथम अध्ययनमें पद्मावती महारानी का वर्णन है। पद्मावती महारानी श्री कृष्णकी रानियों में मुख्य थी। किसी एक समय श्री अरिष्टनेमि भगवानके पधारने पर श्री कृष्ण व पद्मावती महारानी वंदनको गए, उपदेश सुने । उपदेश सुनकर श्री कृष्णने द्वारकाका नाश व स्वयंका भविष्य पूछा, जिसके जबाबमें द्वारकाका विनाश क्षुब्ध द्वैपायन ऋषिके द्वारा होनेका बताया, व श्री कृष्णको भविष्यके उत्सर्पिणी समयमें इसी भरतमें पुण्डू देशके अन्दर शतद्वार नगरमें अमम नामके वारहवें तीर्थकर रूपमें जन्म लेनेका भविष्य सुनाया। यह सुनकर श्री कृष्ण महाराजको बड़ी खुशी हुई। इसके बाद श्री कृष्ण अपने महल जाकर अनुचरोंसे सारे शहरमें द्वारकाका भविष्य कहलाकर संसारसे विरक्त होने वालोंको अपनी तरफसे आज्ञा होनेका व उनके पीछे रहे हुए कुटुम्बी जनों का पालन पोषण अपने जिम्प्रे होनेका कथन जाहिर प्रजामें कह आनेका हुक्म दिया और तदनुसार अनुचर जन सारे शहर में स्थान २ पर जाहिर कर आए । इधर पद्मावती महारानीने भगवानका उपदेश सुनकर दीक्षा लेनेका निश्चय भगवानके सामने प्रकट किया और अपने महल आकर अपने पतिदेव श्री कृष्णसे दीक्षा लेनेकी आज्ञा मांगी। श्रीकृष्ण अपनी की हुई जाहिरातके अनुसार उसी समय आज्ञा देकर दीक्षा महोत्सवके लिये भव्य तैयारियां कराई। स्वयं अपने हाथ महारानीको स्नान आदि क्रियासे निवृत्त करके एक हजार मनुष्य उठावे वैसी शिबिकामें बैठाकर जाहिर मार्गों पर घूमते हुए सहस्राम्रवनमें जाकर मुदित मनसे भगवानके समक्ष महारानीको दीक्षा लेनेके लिये उपस्थित किया। उन महारानीने दीक्षा लेनेके बाद एकसे लेकर एक महीने तक की बारबार अनेक तपश्चर्याएं करके शरीर व कर्म को क्षीण कर दिया और अन्तमें मोक्षको प्राप्त हुई। શ્રી અન્નકૃત દશાંગ સૂત્ર
SR No.006336
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrut Dashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages390
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_antkrutdasha
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy