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________________ शाताधर्मकथाजसूत्रे उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बहहिं खेजणाहिं जाव एयमद्रं णिवेदेति । तएणं से धण्णे सत्थवाहे बहूणं दारगाणं ६ अम्मापिऊणं अंतिए एयम, सोच्चा आसुरुत्ते चिलायं दासचेडं उच्चावयाहिं आउसणाहिं आउसइ, उद्धंसइ, णिब्भच्छेइ निच्छोडेइ, तजेइ उच्चावयाहि तालणाहिं तालेइ, साओ गिहाओ णिच्छभइ । तएणं से चिलाए दासचेडे साओ गिहाओ निच्छुढे समाणे रायगिहे णयरे सिंघाडग जाव पहेसु देवकुलेसु य सभासु य पवासु य जूयखलएसु य वेसाघरेसु य पाणघरेसु य सुहं सुहेणंपरिवड्डइ ॥सू० २॥ टीका-'तएणं से' इत्यादि । ततः खलु धन्यः सार्थवाहः चिलातं दासचेटम् ' एयमट्ठः' एतमर्थम् एतस्मादर्थात् दारकादीनां कपर्दकापहरणादिरूपोदर्थात् भूयोभूयो निवारयति । नो चैव खलु दासचेट एतस्माद्दुष्कृत्यादुपरमते । ततः खलु स चिलातो दासचेटः तेषां बहूनां 'दारगाण य ' दारकाणां चदार तएणं से धण्णे सत्थवाहे इत्यादि। टीकार्थ-(तएणं से धण्णे सत्यवाहे) इसके बाद उस धन्यसार्थवाहने (चिलायं दासचेडं ) चिलात दास पुत्र को (एयमद्रं भुज्जो २ णिवारेइ) चालकों के कपर्दक आदि चुराने रूप अर्थ से वार २ मना किया, परन्तु (णो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमइ ) वह चिलात दारक उस काम से विरक्त नहीं हुआ। (तएणं से दासचेडे तेसिं बहूणं दारगाण य ६ तपणं से घण्णे सत्थवाहे इत्यादि 14-(तएणं से घण्णे सत्थव हे) त्या२मा६ ते धन्य साया (चिलाय दास चेड ) nिald सपुत्रने (एयमढे भुज्जो २ णिवारेइ ) भागहीनी ।। परेने यारी rqn मस पारा२ भनाई ४२री, परंतु ( णो चेव णं चिलाए वासचेडे उवरमई) a and l२४ पातानी १२.५ छ।डीने सुध नलि. (तएण से चिलाए दासचेडे तेसि बहूण दारगाण य ६ अप्पेगइयाण' श्री शताधर्म अथांग सूत्र : ०3
SR No.006334
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages867
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size50 MB
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