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________________ २० ज्ञा सद्दे विपरिस्था । तपणं बारवईए नयरएि नवजोयणवित्थिन्नाए बारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दसदसारा जाव गणिया सहस्साइं कोमुदियाए भेरीए सद्दं सोच्चा णिसम्म हट्ट० जाव ण्हाया आविद्ध वग्घारियमल्लदामकलावा अहतवत्थचंदणोक्किन्नगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहसया संदभाणीगया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवगुरापरिरक्खित्ता कण्हस्स वासुदेवस्त अंतियं पाउन्भवित्था । तण से कहे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खे दसदसारे जाव अंतियं पाउब्भमाणे पासइ, पासित्ता हट्टतुट्ट जाव कोडंबियपुर से सावे, सद्दावित्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरंगिणी सेणं सजेह, विजयं च गंधहत्थिं उववेह । तेवि तहत्ति उवट्टवेंति, जाव पज्जुवासंति ॥सू०९ ॥ टीका- ' तणं तीसे ' इत्यादि । ततः खलु तस्यां कौमुदिकायां भेयीं ताडितायां सत्यां द्वारावत्या नगर्या नवयोजनविस्तीर्णाया द्वादशयोजनायामायाः 'सिंघाडगतियचउकचच्चर कंदरदरी विवरकुहरगिरिसिहरनगर गोउन पासाय दुबार ' तरणं तीसे कोमुइयाए ' इत्यादि । टीकार्थ - (a) इसके बाद (तीसे को मुहयाए) उस कौमुदी (भेरियाए तालियाए समाणीयाए) भेरी के बजने पर (वारवइए नयरीए न त्रजोजन fafteन्नाए ) द्वारावती नगरी के कि जो नव ९ योजन विस्तीर्ण (चौडी) तथा (दुवालसजोयणायामाए) १२ बारह योजन लंबी थी - (सिंघाडगतिय चक्क चच्चरकंदरदरीविवर कुहर गिरिसिहरनगर गोउरपा सायदुवारभ 66 “ त एणं तीसे कोमुइयाए " इत्यादि ॥ 66 टी अर्थ - "तएणं" त्यार माह तीसे कोमुइयाए " ते भुट्टी " भेरियाए तालियाए समाणीए" लेरीने “ arrase नयरीए नवजोजन वित्थिन्नाए " नव યાજન વિસ્તાર પામેલી તેમજ “ दुवाल सजोयणाए આર ચૈાન લાંખી “सि धाडगतियच उक कचच्चरकंद्र दरी बिवर कुदर गिरिसिहरनगरगोउरपा सायदुवारभवण શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્ર : ૦૨ "
SR No.006333
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size47 MB
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