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________________ ५६ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे सार:= श्रेष्ठः, इत्यादि । 'वण्णओ' वर्णक: =भूपवर्णन प्रकरण मौपपातिकसूत्राद विज्ञेयम्, तस्य खलु श्रेणिकस्य राज्ञः नन्दानाम्नी देव्यासीत् । सा कीदशी ? इत्यत्राह - सुकुमालपाणिपाया' सुकुमारपाणिपादा=पाणी च पादौ च पाणिपादं = करचरणं, सुकुमारम्=अतिकोमलं पाणिपादं यस्याः सा तथोक्ता=अतिकोमलकरचरणवतीत्यर्थः, 'वण्णओ' वर्णकः = राज्ञीवर्णन औपपातिकसूत्रादवसेयम् । तस्य खलु श्रेणिकस्य पुत्रः 'नंदाए देवीए अत्तए' नन्दाया देव्या आत्मजः= तद्गर्भज इत्यर्थः अभयनामा कुमार आसीत् । स कीदृश: ? इत्याह- 'अहीण जाव सुरूवे' अहीन यावत्सुरूपः, अत्रस्ययावच्छब्देन 'अहीणपडिपुण्णपंचिदियसरीरे, गया है । राजाओं के समूह में दिव्यऋद्धि, दिव्यद्युति, तथा दिव्यप्रभाव आदिद्वारा वह महेन्द्रकी तरह उत्तम प्रकट किया गया है। यहां पर भी जो यह "वण्णओ" शब्द आया है वह यह प्रकट करता है कि इस राजाके विषय में और भी अधिक वर्णन अन्य ग्रन्थों में किया गया है, सो वह वर्णन औपपात्तिक मूत्र से जाना जा सकता है । ( तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्या सुकुमार पाणिपाया Torओ) उस श्रेणिक राजा की रानी का नाम नंदा था । इसके हाथ पाँव बहुत ही सुकुमार थे। यह कितनी अधिक सुन्दर थी और किस स्वभाव आदि की थी यह सब विषय का वर्णन औपपातिक सूत्र में दिया गया है । (तस्वणं सेणियस्सरन्नो पुत्ते नंदाए अत्तए अभयनामं कुमारे होत्था) उस श्रेणिक राजा के एक पुत्र था जिसका नाम अभयकुमार था । यह नंदा देवी की कुक्षि से अवतरित हुआ था । (अहीण जाव सुरूवे ) यहां यावत् शब्द से यह पाठ -ग्रहीत हुआ हैं- इसका शरीर लक्षण से अन्यून સમૂહમાં દિવ્યઋદ્ધિ, દિવ્યદ્યુતિ તેમજ દ્વિવ્યપ્રભાવ વગેરેથી તેને મહેન્દ્રની જેમ ઉત્તમ अतावत्राभां याच्या छे. अहीं पशु ? 'वण्णओ' शब्द भाव्यो छे, ते आममतावे છે કે આં રાજાના વિષે એના કરતાં બીન્તુ વધુ વર્ણન ખીજા શાસ્ત્રોમાં કરવામાં આવ્યુ છે. માટે તે વન ઔપપાતિક સૂત્રવડે સમજી શકાય છે. तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्या सुकुमार पाणिपाया वण्णओ) ते श्रेणि राजनी राणीनु नाम नही हुतु तेना हाथया मडुन सुअમળ હતા. તે કેટલી બધી રૂપવતી હતી તેને સ્વભાવ વગેરે કેવા હતા, આ જાતના अधा विषयानुं वर्णन औषपाति सूत्रमां आपवामां आव्यु छे. (तस्स णं सेणियस रन्नो पुत्ते नंदा देवीए अत्तए अभयनामं कुमारे होत्था) ते श्रेशि રાજાના એક પુત્ર હતા. તેનું નામ અભયકુમાર હતું. તે ન ંદાદેવીની કૂખમાંથી અવत हुता. ( अहीण जाव सुरूवे) अडीं यावत् शब्दधी से पाठ हुए उ२वामां શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્ર ઃ ૦૧
SR No.006332
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages764
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size45 MB
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