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ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे
पुष्पगन्धवत्र माल्यालङ्कारं गृह्णाति, गृहीत्वा स्वकाद् गृहान्निर्गच्छति निर्गत्य राजगृ नगरं मध्यमध्येन निर्गच्छति, निर्गत्य यत्रैव पुष्करिणी तत्रैवोपागच्छति, उपगत्य पुष्करिण्यास्तीरे सुबहु पुष्पगन्धवत्र माल्यालङ्कारं स्थापयति, स्थापयित्वा पुष्करिणीमवगाहते, अवगाह्य जलमज्जनं करोति, कृत्वा जलक्रीडां करोति, कृत्वा स्नाता कृतबलिकर्मा 'उल्लपड साडिया' आर्द्रपदशाटिका=जलावगाहनेन आहे पटशादिके उत्तरीयपरिधानवो यस्याः सा तथ, तादृशी सा यानि तत्र 'उप्पलाई' उत्पलानि = कमलानि 'जाव सहस्सपत्ताई' यावत्सहस्रपत्राणि = सहस्रदल कलितानि महापत्राणि सन्ति तानि स्वादिम आहार तैयार कराया - ( उवक्खडावित्ता सुबहु पु फगंधवत्थमल्लालंकारं गेव्हर) बाद में पुष्प गंध वस्त्र माला अलंकार को लिया और (गेव्हित्ता) लेकर (सयाओ गिहाओ ) अपने घर से (निगच्छइ) वह (निकली निग्गच्छित्ता रायगिहं नगरं मज्झ मज्झणं णिग्गच्छइ ) निकल कर राजगृह नगर के ठीक बीचोबीच मार्ग से हो कर वह चली (निग्गच्छित्ता जेणेव पोक्खरणीतेणेत्र-उवागच्छइ) चलते२ वह वहां पहुंची जहां पुष्करिणी थी । (उवागच्छित्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहु पुप्फजाव मल्लालंकरं ठवेइ) पहुँचते ही उसने उस पुष्करिणी के तीर पर वह चारों प्रकार के आहार की सामग्री तथा पुष्प आदि सब वस्तुएँ रख दी (ठवित्ता पुक्खरिणि ओगाहइ ) रख कर फिर उसने उस में अवगाहन किया (ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ) अवगाहन कर स्नान किया ( जलकीड करेइ) जल क्रीडा की (करिता व्हाया कयबलिम्मा उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाई जाव सहस्सपताई ताई( उत्रक्खडावित्ता सुबहु पुप्फगंधवत्थमल्लालंकार गेव्हइ ) त्यारयछी पुष्प, वस्त्र, भाजा भने असारोने सीधा भने (गेव्हित्ता) सहने (सयाओ गिहाओ) पोताना घेरथी (निगच्छ ) ते महार नीउणी (निगच्छित्ता रायगिहं नगरं मज्झ मज्झेणं णिगच्छ इ) नीउजीने रामगृह नगरनी ही वस्यो वस्य रस्तेथी ते यासी (निग्गच्छित्ता जेणेव पोक्खरणी तेणेव उवागच्छइ) शासतां शासतां त्यां पुण्डरिशी हुती त्यां चहींथी. ( उवागच्छित्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहु पुप्फ जाव मल्लालंकार ठवे ) त्यां यहांथीने तेथे युण्डरिणीना आहे यारे लतना आहारनी सामग्री वगेरे मधी वस्तुमा भूडी हीधी (ठवित्ता पुक्खरिणि ओगाहइ) भूमीने ते थुण्डरिशीभां उतरी (ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ) त्यां उतरीने तेथे स्नान म्यु ( जलकीर्ड करेई) भजडीडा उरी (करिता व्हाया कयबलिकम्मा उल्लपड साड़िगाजाई तत्थ उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताई ताई गिव्हर) त्यार पछी ल्यारे तेरे
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શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્ર ઃ ૦૧