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________________ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे य, सिहरेमु य पब्भारेसु य मंचेसु य काणणेस य वणेसु वणसंडसु य वणराईसु य नदीसु नदीकच्छे सु जुहेसु संगमेसु य वावीस य पोक्खरिणीसु य दीहियासु य गुंजालियासु य सरेसु __सरपंतियासु य सरसर पंतियासु य वणयरएहि दिन्नवियारे बहुर्हि हत्थीहि य जाव सद्धिं सपरिखुडे बहुविहतरुपल्लवपउरपाणियतले निब्भए निरुध्विग्गे सुहं सुहेणं विहरसि ॥सू० ४०॥ टीका--'तएणं मेहाइ' इत्यादि। ततस्तदनन्तरं खलु 'मेहाइ' हे मेघ ! इति कोमलसंबोधनं कृत्वा श्रमणो भगवान् महावीरः मेघकुमारम् एवं वक्ष्यमाणप्रकारेण अवादोत्-'से' अथ नूनं-निश्चयेन त्वं हे मेघ ! 'राओ' रात्रौ पूर्वरात्रापररात्रकालसमये-रात्रिमध्ये श्रमणैर्निग्रन्थैर्वाचनार्थ प्रच्छनार्थ परिवर्तनाथ धर्मानुयोगचिन्तार्थ यावत 'महालियं च णं राई महत्यां च रात्रौ ‘णो संचाएसि मुहुत्तमवि अच्छि निमिलावेनए' नो शन्कोति मुहूर्त 'तएणं मेहाइ समणे इत्यादि । टीकार्थ-(तएणं) इस के बाद (मेहाई) हे मेघकुमार ! इस प्रकार कोमल आमंत्रण करते हुए (समणे भगवं महावीरे) श्रमण भगवान् महावीरने (मेहं कुमार) मेघकुमार से (एवं वायासी) इस प्रकार कहा (से णूणं तुमं मेहा। राओ पुव्यरत्तावरत्तकालसमयंसि) हे मेघ। तुम रात्रि के पूर्व भाग में और पश्चाद्भाग में (समणेहि णिग्गंथेटिं) श्रमणनिर्गन्थों द्वारा (वायणाए पुच्छणाए जाव महालियंच णं रा णो संचाएसि मुहुत्तमवि अच्छि निमिलावेत्तए) वाचना पृच्छना आदि के निमित्त आने जाने पर उनके टीथ---(तएणं) त्या२ मा (मेहाइं) “ भेधभार !” ! तना भ७२ समाधनथी (समणे भगवं महावीरे ) श्रभा मावान महावीरे ( मेहं कुमारं) भेधाभारने ( एवं वयासी) PAL प्रमाणे ४ह्यु ( से गूणं तुम मेहा ! राओ पुबरत्तावरत्तकालसमयंसि ) 3 भेध! रात्रिन पूर्व भागमा भने पाना मामा (समणेहि णिमांथेहिं ) श्रम नियथा द्वारा (वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं च ण राई णो संचाएसि मुहुत्तमवि अच्छिं निमिलावेत्तए) ५२छना वगेरेना भाटे माव। पाथी तभना हाथ वगैरेना શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006332
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages764
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size45 MB
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