SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 269
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ N अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ.१ २० मेधकुमारजन्मनिरूपणम् काभिः किरातदेशोत्पन्नाभिः१, “वामणी-वडभीर, बब्बरी२, बउसी३, जोणिया४. पल्हविया५, इमिणिया६, धोरुगिणी७, लासिया८, लउसिया, दमिली१०, सिंहली११, आरबी १२, पुलिंदी१३, पक्कणी१४, बहली१५, मुरुंडी१६, सबरी१७, पारसीहिं १८” वामनी-बडभी-बबेरी२, बकसी३, योनिका४, पल्हविका५, ईशिनिका६, धोरुकिनिका, लासिका८, लकुसिका९, द्राविडी१० सिंहली११, आरबी१२. पुलिन्दी१३, पक्कणी१४, बहली१५, मुरुण्डी१६, सबरी१७. पारसीभिः१८, 'वामणी' वामनीभिः इस्वशरीराभिः, 'वडभी' बड़भीभिः एकपार्श्वहीनाभिः एतादृशीभिः 'बब्बरी' बर्बरीभिःवर्वर देशसंभवाभिः२, 'वउसी वकुक्षिकाभिः३ 'जोणिया' योनिकाभिः योनदेशोद्भवाभिः४, पल्हविया' पल्ह विकाभिः५ इसिणिया' ईशिनिकाभिः६, 'धोरुगिणी' धोरुकिनिकाभिः७, 'लासिया' लासिकाभिः८, 'लउसिया' लकु. वामणि-वडभि-बब्बरि बडसि-जोणिय-पल्ह विण-इसिणिया-धोगिणिलासिय-त्र उसिय-उसिय-दमिलि-सिंहलि-आरचि-पुलिदि-पक्कणि-बहलि. मुरुंडि-सबरि-पारसीहि णाणादेसीहि विदेसवेसपरिमंडियाहिं इंगियणचिंतिय पत्थिय वियाणियाहि सदेसणेवत्थगहियवे सौंहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडिया चक्कवालबरिसधाकंचुइमहयरगविंदपरिक्खि') अन्य अनेक कुब्जक शरीर वाली किरात देश की स्त्रियों से (बोना) वामन शरीर वाली तथा एकपार्श्व से विहीन ऐसी बर्बर देश की दासीयों से वकुश देश की दासियो से यौन देश को दासियों से परहभिकारो से ईशिनिकायों सेईशान देशकी दासियों से धौरुनिकाओं से धौरुनकदेश की दामियों से, लासिकाओं से-लासकदेश की दासियों से.-लकुशदेश की बहूहिं खुजाहिं, चिलाहिं वामणि वर्णडभि-बव्वरि-वडसि-जोणिय-पल्हविइसिगिया-धोरुगिणि-लासिय-ल उसिय-उसिय-दमिलि-सिंहली-आरबिपुलिदि-पक्कणि-बहलि-मुमंडि-सबरि पारमीहिं णाणादेसी हिं विदेसवेम परिमंडियाहिं इंगिय चिंतिय पत्थिय विद्याणियाहिं सदेसणेवत्थगहिय वेसाहि निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवालबरिसधरकंचुइ महयरगविंदपरिविवत्ते मने मी घणी ५०१ शशी शत शनी स्त्रीमाथी, ઠીંગણું શરીરની તેમજ એક તરફના પાર્શ્વની બર્બર દેશની દાસીઓથી, કુશદેશની દાસીઓથી, યૌનદેશની દાસીઓથી, પલ્લવિકાઓથી–પલ્લવદેશની દાસીએથી, ઇશિમિકાઓથી-ઇશાનદેશની દાસીઓથી, ધીરુનિકાઓથી–ધૌનકદેશની દાસીઓથી લકુશાઓથીલકુશદેશની દાસીઓથી, દ્રાવિડીઓથી–દ્રાવિદેશની દાસીઓથી, સિંહલીઓથી–સિંહલ શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006332
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages764
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy