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________________ - २२८ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे धारिणीं देवीं पृष्टतोऽनुगच्छति। ततः खलु सा धारिणी देवी श्रेणकेन राज्ञा हस्तिस्कन्धवरगतेन पृष्ठतः पृष्ठतः समनुगम्यमानमार्गा हयगजरथयोध. कलितया चतुरङ्गिण्या से नया साधे संपरिता 'महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ता' महाभटचडगरवृन्दपरिक्षिप्ता, तत्र-महाभटानां चडगराः समूहाः, यूथा इत्यर्थः, से निकृत्त हो गये थे। वायस आदिको अन्नादिभाग देने रूप बलि कर्म आदि कार्य ये सब कर चुके थे। यहां जो यावत् शब्द-आया है-वह इस पाठ का संग्राहक है-की राजा जब धारिणी देवी के साथ चल रहे थे-तब उन्होंने भी अपने शरीर पर समस्त आभूषणों को धारण कर रक्खा था: विशिष्ट शोभा से ये उस समय शोभित हो रहे थे। (हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं चउ चामराहि वीइज्जमाणाहिं धारिणी देवीं पिट्टओ अणुगच्छइ) दूसरे हाथी पर बैठे हुए थे, नौकर ने इनके ऊपर राजचिह्नरूप शुभ्र छत्र जो कोरष्टपुष्पों को माला से युक्त था तान रखा था ढोरते हुए चार चमरों से ये विराजित होते हुए रानी के पीछे पीछे चल रहे थे। (तएणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना हत्थिखंधवरगएणं पिट्टओ पिट्टओ समणुगम्ममाणमग्गाहयगयरहजोहकलियाए चाउरंगिणिए सेणाएसळि संपरितुए) इस तरह हस्ति के मुन्दर स्कंध पर आसीन हुए-श्रेणिक राजा जिस के पीछे मार्ग पर चले जा रहे हैं-ऐसी वह धारिणी देवी कि जो धोडे हाथी, रथ और योधाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना से घिरी हुई है-तथा (महया भटचडगरविंद ક્યિા પતાવી દીધી હતી, બલિ કમ વગેરે કાર્ય પણ તેઓએ પૂરા કર્યા હતાં. અહીં જે વાવત’ શબ્દ છે, તે સૂચવે છે કે રાજા જ્યારે ધારિણીદેવીની સાથે જઈ રહ્યા હતા ત્યારે તેમણે પણ પિતાના શરીરે બધાં આભૂષણે પહેર્યા હતાં. એક જાતની मनिष शीमाथी ते शामित २ह्या हुता. (हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धारिजमाणेणं च चामराहि वीइज्जमाणाहि धारिणी देवी विटओ अणुगच्छइ) तेभ्यो lon थी ५२ मे ता. २८ पुष्पानी માળાથી શોભતા રાજચિહ્નરૂપ સફેદ છત્ર નેકરેએ તેમના ઉપર તાણું રાખ્યો હતે. ઢોળાઈ રહેલાં શ્વેત ચમરેથી તેઓ શોભતા હતા. આ રીતે તેઓ રાણીની પાછળ પાછળ 15 ता. (तएणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना हस्थिखधवरगएणं पिओ समणुगम्ममाणमग्गा हयायरह जोहकलियाए चाउरगिणीए संणाए सद्धिं संपरिवुए) २॥ प्रमाणे हाथीना सु४२ २४३ ५२ मेडे श्रेणि રાજા જેની પાછળ જઈ રહ્યા છે, હાથી, ઘોડા, રથ અને પાયદલ આમ જે ચતુરBrea सेनामाथी धेशमेला छ,(महया भटचडगरविंद परिक्खित्ता) भायोद्धामोना શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006332
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages764
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size45 MB
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