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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०३५ ७० १ ०१ राशिकमेणैकेन्द्रिजीवनिरूपणम् ५०५ अवहीरमाणे दुपज्जवसिए' यः खल्ल राशि चतुष्केणापहारेणापहियमाणो द्विपर्ययसितो भवति तथा- 'जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेतं कड जुम्म दावरजुम्मे' ये खलु तस्य राशेरपहारसमयाः कृतयुग्मरूपा भवन्ति तस्मात् , राशि विशेषः कृतयुग्मद्वापरयुग्म इत्यभिधीयते स च जघन्यतोऽष्टादशात्मक इति (१८) 'जेणं रासी चउकरणं अवहारेणं अवहोरमाणे एगपज्जबसिए ' यः खलु राशि तुष्केणापहारेणापहियमाण एकपर्यवसित एव भवति तथा'जे f तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा से तं कडजुम्मकलिओगे' ये खलु तस्य राशेरपहारसममया एकपर्यवसिता एव भवन्ति तस्मात् स राशिः कृतयुग्मकल्योज इत्यभिधीयते स च जघन्यत सप्तदशात्मकः ( १७ ) इति ४ । चार रूप होते हैं ऐसी वह राशि कृनयुग्म ज्योज कही गई है । वह राशि जघन्य से १९ संख्या रूप होती है 'जे णं रासी चक्करणं अवहारेणं अबदीरमाणे दुपज्जबसिए' जें णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेस कलजुम्म दावरजुम्मे' तथा-जो राशि चतुष्क से अपहृत - विभक्त होकर अन्त में दो बचाती है और जिस के अपहार समय चार रूप से होते हैं ऐसी वह राशि कृतयुग्म द्वापरयुग्म रूप है । जघन्य से इस राशिका प्रमाण १८ है । अपहार समयों की अपेक्षा इस में कृतयुग्मता है और द्रव्य की अपेक्षा अन्त में दो वचने के कारण द्वापरयुग्म है । 'जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगज्जबसिए' जो राशि चार से विभक्त होकर अन्त में एक बचाती राशि कृतयुग्म कल्योज रूप है। तथा इसके अपहारक समय है । 'जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेन्त कडजुम्म कलिओगे' एवं जिस राशिका अपहार समय एक होता है, वह राशि कृतयुग्म कल्योज रूप हैं । तथा इसके अपहार समय चार होते हैं। इसलिये इस में कृतयुग्मता है ऐसी वह राशि जघन्य से १७ संख्यारूप होती है। 'जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीर वाय छे. ते राशि धन्यथी १८- भोगसनी संख्या ३५ छे. 'जेणं' रासी 'चक्कर' अवहारेण' अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जेणं तस्स राखिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेन्त कडजुम्म दावरजुम्मे' तथा ने राशी थारनी सभ्याथी अपहार કરતાં વહેંચાઈને છેવટે એ વધે છે અને જેના અપહાર સમય ચાર રૂપ હાય છે, એવી તે રાશિ કૃતયુગ્ઝદ્વાપરયુગ્મ રૂપ હેય છે. જઘન્યથી આ રાશિનુ’ પ્રમાણ ૧ અરાડનુ છે, અપહાર સમયેની અપેક્ષાથી આમાં કૃતયુગ્મ પણુ કહેલ છે. अने छेवटे मे यवाने उरणे द्वापरयुग्मयालु छे. 'जेणं' राखी चउक्कणं अवहारेण अवहीरमाणे एगज्जवखिए' ने राशी यारथी वडेयवाथी हेवटे थे! वर्षे छे, 'जेणं तस्स रासिस अवहारसमया सेत्तं कडजुम्म कलिओगे' भने ने राशीना અપઢ઼ાર સમય એક ડાય તે રાશિ કૃતયુગ્મ કલ્યેાજ રૂપ છે. અને તેના भ० ६४ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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