SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 495
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७२ भगवतोसले देशका यावन्त स्ते सर्वेऽपि अनन्तरोपपन्नकवदेव ज्ञातव्याः 'परंपरा परंपरप्त. रिसा' परम्परोद्देशकाः परम्परोपपन्नकोदेशक सदृशा ज्ञातव्याः चरमा अचरमा अपि एवमेव-परम्परोपपन्नकवदेवेति ‘एवं एए एकारस उद्देसगा' एवं पूर्वोक्त प्रकारेण एते-पूर्णाक्ता एकादशोद्देशकाः चतुस्त्रिंशत्तमशतके प्रथमैकेन्द्रियशते भवन्तीति ।।३४।१।४=११॥ इति श्री-विश्वविख्यातनगद्वल्लभादिपदभूषितबालब्रह्मचारि - 'जैनाचार्य' पूज्यश्री-घासीलालबतिविरचितायां "श्री भगवतीसूत्रस्य" प्रमेयचन्द्रिकाख्यायां व्याख्यायां चतुस्त्रिंशत्तमे शतके प्रथमस्य एकेन्द्रियशतकस्य चतुर्थ एवं एकादशोद्देशकः समाप्त ॥३४-४-१-११॥ इति प्रथममेकेन्द्रिय श्रेणिशतकं समाप्तम् । अनन्तरोद्देशक हैं वे सब अनन्तरोपपन्नक के जैसे हैं 'परंपरा परंपर. सरिसा' एवं परम्परोदेशक परम्परोद्देशक के जैसे हैं तथा चरम और अचरम भी इसी प्रकार अर्थात् परम्परोपपन्नक के जैसे ही जानना चाहिये । 'एवं एए एकारस उद्देसगा' इस प्रकार से ये ३४ वें शतक में प्रथम एकेन्द्रिय शतक में ११ उद्देशक हैं ॥मू० १॥ जैनाचार्य जैनधर्मदिवाकर पूज्यश्री घासीलालजीमहाराजकृत "भगवतीसूत्र" की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्याके चोतीसवें शतक का चार से ग्यारहवां उद्देशक समाप्त ॥३४-१-४-११॥ यह पहला एकेन्द्रियश्रेणि शतक समाप्त हुआ। चरमा य अचरमा य एव चेव' रेटता अनतराश छे, ते मया अनंतरा५. પનક પ્રમાણે છે. તેમ સમજવું. એવં પરંપરદેશક પરમ્પરાપનકોદેશક प्रभारी छ. तथा य२म मन मयर ५५४ मा प्रमाणे समा 'एवं एए एक्कारस उद्देसगा' मा शत 24॥ ३४ ॥। ४ा छे. ॥सू०१॥ જૈનાચાર્ય જૈનધર્મદિવાકર પૂજ્યશ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજકૃત “ભગવતીસૂત્ર”ની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાના ત્રીસ શતકના ચારથી અગીયાર ઉદેશા सभात ॥३४-१-४-११॥ પહેલું એકેન્દ્રિયશતક સમાપ્ત થયું. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭.
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy