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________________ ६१४ भगवतीपत्रे यथा पौरस्त्ये चरमान्ते समवहता, 'दाहिणिल्ले चरिमंते उववाहो' दाक्षि. णात्ये चरमान्ते उपपातितः, 'तहा पुरथिमिल्ले समोह भो उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएययो' सथा-पौरस्त्ये समवहतः उत्तरे चरमान्ते उपपातयितव्यः । यथा पूर्वदिशि समवहतस्य दक्षिणस्यां दिशि समुपातो वर्गित स्तथैव पूर्वदिशि समव. हतस्य उत्तरदिशि अपि समुत्पादो वर्णयितव्यः सू० ॥६॥ मूलम्-अपज्जत्तसुहमपुढवीकाइए णं भंते ! लोगस्स दाहिजिल्ले चरिमंते समोहए समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्त सुहुमपुढवीकाइयत्ताए उववज्जित्तए । एवं जहा पुरथिमिल्ले समोहओ पुरथिमिल्ले चेव उक्वाइओतहेव दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो। तहेव निरवसेसंजाव सुहुमवणस्सइकाइओ पजत्तओ सुहमघणस्सइकाइएसु चेव पज्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उबवाइओ, एवं दाहिणिल्ले समोहओ पच्चस्थिमिल्ले उववाएयव्यो। नवरं दुसमइय तिसमइय-चउसमइय विग्गहो, लेसं तहेव । दाहिणिल्ले मंते उवचाइओ तहा पुरस्थिमिल्ले समोहओ उत्तरिल्ले चरिमंते उवचाएययो' हे गौतम ! जिस प्रकार से लोकके पूर्वचरमान्त में समवहत हुए जीव के दक्षिण चरमान्त में उत्पाद के विषय में कहा गया है, उसी प्रकारसे लोकके पूर्वचरमान्त में समवहत हुए जीवके उत्तर चरमान्त में उत्पाद के सम्बन्ध में भी कह लेना चाहिये । तात्पर्य कहने का यही है कि पूर्वदिशा में समवहत हुए जीवका दक्षिण दिशा में जैसा उत्पाद वर्णित हुभा है उसी प्रकार से पूर्व दिशा में समवहत हुए जीव का उत्तर दिशा में भी उत्पाद वर्णित कर लेना चाहिये ॥सू० ॥६॥ दाहिणिल्ले चरिमते उववाइ ओ तहा पुरथिमिल्ले समोहओ उत्तरिल्ले चरिमंते उवाएयव्वो' है गौतम ! २ प्रमाणे नाना पूर्व यभान्तमा समुद्धात કરેલ જીવના દક્ષિણ ચરમાન્તમાં ઉ૫પાત થવાના સંબંધમાં કહેવામાં આવેલ છે. એ જ પ્રમાણે લેકના પૂર્વ ચરમાતમાં સમુદ્રઘાત કરેલ જીવના ઉત્તર ચરમાતમાં ઉત્પન્ન થવાના સંબંધમાં પણ કહેવું જોઈએ. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે-પૂર્વ દિશામાં સમુદ્દઘાત કરેલ જીવન ઉ૫પાત ઉત્તર દિશામાં પણ વર્ણન કરી લેવો જોઈએ. સૂત્રો શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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