SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ वित्रहगति से जीवों के उत्पात का निरूपण रत्नममापृथिव्याश्रित पृथिव्याघेकेन्द्रिय जीवों का निरूपण शर्करापमा पृथिव्याभित एकेन्द्रिय जीवों के उपपात आदि का कथन ३५८-३६८ सामान्य से अधाक्षेत्र उर्ध्वक्षेत्र का आश्रय करके एकेन्द्रिय जीवों के उपपात का कथन ३६९-३७५ अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्विकाय आदि के अधोलोक में विग्रहगति से उत्पात आदिका कथन ३७५-३९४ लोक के पोरस्त्यादि चरमान्त विषय अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्वीकायके उत्पत्ति आदि का कथन ३९५-४१४ अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीव का लोक के दक्षिण चरमान्तमें उत्पत्ति आदि का कथन ४१५-४२४ वादर पृथ्वीकाय आदि के स्थान आदि का निरूपण ४२५-४४४ दूसरा उद्देशक अनन्तरोपपत्रक एकेन्द्रियों के भेद आदि का निरूपण ४४५-४६४ तीसरा उद्देशक परम्परोपपन्नक एकेन्द्रिय जीव के भेदों का निरूपण ४६५-४७० चौथे उद्देशक से ११ वें पर्यन्त के उद्देशक का कथन अनन्तरावगाढ से अचरम पर्यन्त के जीवों के भेदों का कथन ४७१-४७२ दूसरा एकेन्द्रिय शतक कृष्णलेश्यायुक्त एकेन्द्रियों के भेदों का निरूपण ४७३-४७८ तीसरा चौथा और पांचवां शतक नील-कापोत एवं शुक्ललेश्यावाले एकेन्द्रिय जीवों के ग्यारह उद्देशात्मक शतकों द्वारा कथन ४७९-१८१ ५. ५३ ५४ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy