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________________ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ नववे से बारहवें पर्यन्त के उद्देशकों का कथन अभवसिद्धिक नैरपिकों के एवं कृष्णादि लेश्या युक्त नैरयिकों के उपपात आदि का कथन तेरहवें से सोलहवें पर्यन्त के उद्देशकों का कथन कृष्णादि लेश्यायुक्त सम्यग्दृष्टि नारकों के चार उदेशकों द्वारा उत्पत्ति आदि का कथन सत्तर से बीसवें पर्यन्तके उद्देशकों का कथन कृष्णादि चार लेश्यायुक्त मिथ्यादृष्टि नारकों के चार उदेशकों द्वारा कथन १९ से २४ पर्यन्तके चार उद्देशक का कथन कृष्णादि लेश्यायुक्त कृष्णपाक्षिक नैरयिकों के उत्पत्ति आदि का चार उद्देशक द्वारा कथन २५ से २८ पर्यन्त के चार उद्देशकों का कथन कृष्णादि चार लेश्यायुक्त शुक्लपाक्षिक क्षुल्लक कृतयुग्म नैरयिकों का चार उद्देशक से कथन बत्तीसवां शतक का प्रथम उद्देशक नारकादि जीवों की उद्वर्त्तना का निरूपण दूसरे उद्देशक से २८ पर्यन्त के उद्देशक का कथन कृष्णलेश्यावाले कृतयुग्म नैरयिक आदि के उद्देशकों के निर्देशपूर्वक कथन तेतीस शतक का प्रथम उद्देशक एकेन्द्रिय जीवों का निरूपण दूसरा उद्देशक अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों का निरूपण तीसरा उद्देशक प्रथम अवान्तर शतक परंपरोपपत्रक एकेन्द्रिय से अचरम पर्यन्त के एकेन्द्रियों का निरूपण શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭ २१८-२१९ २२०-२२२ १२३ २२४ २२५-२२७ २२८-२३५ २३६-२३८ २३९-२५५ २५६-२६५ २६६-२७५
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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