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भगवतीसवे हे गौतम ! 'सवेयए होज्जा' सवेदको भवति पुलाका, नो अवेदकी भवति पुलाक बकुशप्रतिसेवाकुशीलानामुपशमश्रेणीक्षपकश्रेण्योरभावात् इति । 'जइ सवेयए होज्जा कि इस्थिवेयए होज्जा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसणपुसगवेयए होज्जा' यदि पुलाकः सवेदको भवति तदा किम् स्त्रीवेदको भवति, पुरुषवेदको वा भवति पुरुष-नपुंसकवेदको वा भवतीति प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि। 'गोयमा' हे गौतम ! 'णो इस्थिवेयए होज्जा' नो स्त्रीवेदको भवति स्त्रीणां पुला. कलन्धेरभावादिति । 'पुरिसवेयए होज्जा' पुरुषवेदकः पुलाको भवति-'पुरिसणपुंसगवेयए वा होज्जा' पुरुषनपुंकवेदको वा भवति यः पुरुषः सन् पुरुषः वेद रहित होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोधमा ! सवेथए होज्जा' हे गौतम ! पुलाक निग्रंन्य वेदसहित होते हैं 'नो अवेयए होज्जा' वेदरहित नहीं होते है। क्योंकि पुलाक, षकुश और प्रतिसेवना कुशील इनके उपशम श्रेणी और क्षपक श्रेणी का अभाव होता है । इसलिये वे अवेदक नहीं होते हैं । अब गौतम प्रभुश्री से ऐसा पूछते हैं-'जइ सवेयए होज्जा, किं इस्थी वेयए होज्जा पुरिसवेयए होज्जा, पुरिसणपुंसगवे. यए होजा' हे भदन्त ! यदि पुलाक निर्ग्रन्थ वेद सहित होते हैं तो क्या वह स्त्रीवेदवाला होता है ? अथवा पुरुषवेवाला होता है ? अथवा पुरुषनपुंसकवेवाला होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं'गोयमा ! णो इथिवेयए होज्जा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसणपुंसगवेयए वा होज्जा' हे गौतम ! वह स्त्रीवेदवाला नहीं होता है क्योंकि स्त्रियों को पुलाक लब्धि का अभाव रहता है वह पुलाक पुरुषवेवाला होता है अथवा पुरुषनपुंसक वेदवाला होता है। जो पुरुष होकर अपने हाय छे १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री गीतमस्वामी ४ छ -'गोयमा ! मवेयए होज्जा गौतम! पुरा निथ वहसहित-वाणा डाय छे. नो अवेयए होजा' वपिनाना ता नथी. उभ-yas, पश भने प्रतिसेवना કશી ને ઉપશમ શ્રેણી અને ક્ષપક શ્રેણીને અભાવ હોય છે. તેથી તેઓ અવેદક–વેદવિનાના હોતા નથી.
वे गीतभस्वामी प्रभुश्रीन मे पूछे छे -'जइ सवेयए होज्जा कि इत्थीवेयए होज्जा पुरीसवेयए होज्जा पुरीखणपुंसगवेयए होज्जा' 3 सपन्ने पुसा निथ વેદ સહિત હોય છે. તો શું તે સ્ત્રી ઉદવાળા હોય છે અથવા પુરૂષદવાળા હોય છે અથવા પુરૂષ નપુંસકદવાળા હોય છે? આ પ્રશ્ના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમસ્વાभी ४ छ ?-'गोयमा ! णो इत्थीवेयए होज्जा पुरिसवेयए होज्जा पुरिमणपुं. माया होज्जा' गौतम! ते स्त्रीवहाणारात नथी. भ. श्रीयान सा લબ્ધિને અભાવ હોય છે. તે પુલાક પુરૂષદવાળા હોય છે. અથવા પુરૂષ નપુંસક
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧