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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.२१ सू०२ आनतातिदेवेभ्यः मनुष्येषूत्पत्तिः ३९३ उववज्जति' अनुत्तरोपपातिककल्यातीतवैमानिकदेवेभ्योऽपि आगत्योत्पधन्ते इत्युत्तरम् । 'जइ गेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति' यदि अवेयक कल्पातीत वैमानिकदेवेभ्य उत्पद्यन्ते तदा 'किं हेटिम २ गेवेजकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो उववज्जति' किमधस्तनाध तनौवेयककल्पातीतवैमानिकदेवेभ्य उत्पधन्ते अथवा 'जाव उवरिम २ गेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो उववज्जति' यावत् उपरितनोपरितनग्रैवेयककल्पातीतवैमानिकदेवेभ्य उत्पधन्ते इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! हेडिम २ गेवेन्ज कप्पाईप वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति' अधस्तनाधस्तनौवेयककल्पातीतवैमानिकदेवेगति में उत्पन्न होता है और अनुत्तरोपपातिक कल्पातीत वैमानिक देवों से भी आकरके मनुष्यगति में उत्पन्न होता है।
अब पुनः गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'जइ गेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो उववज्जति' हे भदन्त ! यदि वह ग्रैवेयककल्पातीतवैमानिक देवों से आकरके मनुष्यगति में उत्पन्न होता है तो कि हेडिम २ गेवेज्जकप्पाइयवेमाणियदेवेहितो उववज्जति 'क्या वह अध. स्तनाधस्तन ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिक देवों से आकरके उत्पन्न होता है ? अथवा 'जाप उवरिम २ गेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो उधवमंति' यावत् उपरितनोपरितन ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिक देवों से आकरके उत्पन्न होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम! 'हेटिम २ गेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो वि उथवज्जति' અનુત્તરપાતિક કલાતીત વૈમાનિક દેવોમાંથી પણ આવીને મનુષ્ય ગતિમાં ઉત્પન્ન થાય છે.
शथी गौतमस्वामी प्रभुने मे पूछे छे है-'जइ गेवेज्जकप्पाईवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति' है लान् त अवयव ४८पातीत वैमानि माथी भावान मनुष्य प्रतिभा पन्न थाय छ, त। 'कि हेट्टिमगेवेज्जकप्पाइयवेमाणिय. देवेहितो उववज्जति' शुत मस्तनधरतन अवेय पातीत वैमानि वीमाथी भावीन उत्पन्न थाय छ ? अथवा 'जाव उवरिमउबरिमगेवेज्जकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो उववज्जति' यावत् ७५२ ५२ना अवेय: पातात वैमानि हेपोमाथी भावीन उत्पन्न थाय छ ? ॥ प्रश्न उत्तरमा प्रभु ४३ छ -'गोयमा! 3 गौतम! 'हेद्विम २ गेवेजकप्पाईयवेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति' ते अध.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫