________________
३५२
भगवतीसूत्रे बादरपुढवीसरीरे' तदेकं बादरपृथिवीशरीरं भवतीति । प्रकरणार्थमुपसंहरमाह'ए महालएणं' इति 'ए महालए णं गोयमा' एतन्महत् खलु गौतम ! 'पुढवीसरीरे पन्नत्ते' पृथिवीशरीर प्रज्ञप्तम् हे गौतम ! एतादृशं महत्प्रमाणकं बादरपृथिवीकायिक शरीरं भवतीतिभावः ॥सू० ३॥
प्रकारान्तरेण पृथिवीकायिकानामवगाहना प्रमाणमाह-'पुढवी' इत्यादि
मूलम्-पुढवीकाइयस्स णं भंते ! के महालया सरीरोगाहणा पन्नत्ता गोयमा! से जहानामए रन्नो चाउरंतचकवहिस्स वन्नगपेसिया तरुणी बलवं जुग जुवाणी अप्पायंका० वन्नओ जाव निउणसिप्पोवगया नवरं चम्मेदृदुहणमुठियसमाहयणिचियगत्तकाया न भण्णइ सेसं तंचेव जाव निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वदृविरएण एगं महं पुढवीकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय पडिसाहरिय पडिसंखिविय पडिसंखिविय जाव इणामेव तिकट्ठ त्तिसत्तखुत्तो उप्पीसेज्जा तत्थ णं गोयमा! अत्थेगइया पुढवीकाइया आलिद्धा अत्थेगइया पुढवीकाइया नो आलिद्धा अत्यंगइया संघट्टिया अत्थेगइया नो संघट्टिया अत्थेगइया परियाविया अत्थेगइया नो परियाविया अत्यंगइया उद्दविया अत्थेगइया नो उद्दविया अत्थेगइया पिट्टा अत्थेगइया शरीर होते हैं। 'से एगे बादरपुढवीसरीरे' उतना एक शरीर एक बादर पृथिवीकायिक का होता है 'ए महालएणं गोयमा०' हे गौतम ! ऐसे बडे प्रमाणवाला बादर पृथिवीकायिक का शरीर होता है।सू० ॥
से एगे बादर पुढवी सरीरे' तर शरी२ मा पृथ्विायिन डाय छे. 'ए महालाए ण गोयमा ! गौतम! आप मोटा प्रभावामुमा वि. यिनु शरीर डाय छे. ॥ सू. 3॥
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩