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________________ २२२ भगवतीसूत्रे टीका-'अस्थि णं भंते !' सन्ति खल्ल भदन्त ! 'इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः, 'अहे' अधोभागे 'दब्वाई' द्रव्याणि, यानि द्रव्याणि खलु 'वनो कालनीललोहियहालिदसुकिल्लाई' वर्णतः कृष्णनीललोहितहारिद्रशुक्लानि-कृष्णनीललोहितपीतशुक्लरूपवन्ति द्रव्याणि, तथा 'गंधओ सुन्मिगंधाई दुभिगंधाई गन्धतः सुरभिगन्धीनि दुरभिगन्धीनि तथा 'रसो तित्तकडुयकसायअंबिलमहुराइ' रसतः तिक्तकटुकषायाम्लमधुराणि तिक्तादि रसवन्तीत्यर्थः तथा, 'फासओ कक्खडमउयगरुयलहुयसीयउसिणनिद्धलुक्खाई' स्पर्शतः कर्कशमृदुकगुरुकलघुकशीतोष्णस्निग्धरूक्षाणि यथोक्तस्पर्शविशिष्टानि तानि किम् पुद्गलों का निरूपण किया जा चुका है। अब उन्हीं पुद्गलों का वर्णादिगुणों को लेकर वर्णन किया जाता है 'अस्थि णं भंते इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' इत्यादि । टोकार्थ-इस सूत्र द्वारा गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणपभाए पुढवीए' हे भदन्त ! इस रत्नप्रभा पृथिवी के 'अहे' अधोभागमें ऐसे द्रव्य जो 'वन्नओ कालनील लोहियहालिह सुक्किल्लाई' वर्ण से काले हो, नीले हो, लोहित हो, पीले हो और सफेद हो तथा 'गंधओ' गंध से 'सुब्भिगंधाई दुन्भिगंधाई' सुरभिग: धवाले हो एवं दुरभिगंधवाले हो । 'रसओ' रस से तित्तकडुयकसाय. 'अपिल महुराई' तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल एवं मधुर रसोपेत हों। 'फासओ' स्पर्श से 'कक्खड़मउयगरुयलहुयसीयउसिणनिद्ध. પુલનું નિરૂપણ કરાઈ ગયું છે. હવે તે પુલના વર્ણાદિ ગુણોને લઈને વર્ણન કરવામાં આવે છે. "अत्थि णं भवे ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए या --0 सूत्री गौतम थामीले प्रभुने मे पूछयु छ ?-- अस्थि णं भंते ! इनीसे रयणप्पभाए पुढबीए" 3 भगवन् मा२त्नमा पृथिवीना "अहे" नीयन। मामा मेवा द्रव्ये छ रे--"वण्णओ कालनीललोहिय हालिरसुकिल्लाई” १५ थी ४७ डाय, नीम डाय, साल राय, पी डाय, भने स३४ ३य ? “गंधओ” भने आधी "सुब्भिगंधाई दुभिगंधाई" सुमि आधा य है दुलि - या डाय "रसओ" २सथा "तित्तकड्डुकसाय-अंबिलमहुराई" ति तीमा-४४-४७१॥ ४५।य-तु२२१+-भाटा भने भधुर-भीत। २सवाणा डाय "फाओ" ५५Nथी 'कक्खडमउयगरुयलहुय सीयउसिणनिद्धलुक्खाई" ४४२, भू, नारे लघु-उast 31 SY-१२म, शिry! શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૩
SR No.006327
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages970
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size58 MB
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