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________________ २८६ भगवतीस्त्रे एगिदियपएसा अहवा एगिदियपएमा वि बेंदियाण य पएमा २' एवं त्रीन्द्रियादारभ्य अनिन्द्रियान्तेष्वपि प्रदेशविषये एवमेव विचारः। तथा-'जे अजीवा ते दुविहा पन्नता त जहा रूवीअजीवा य अरूबी अजीवा य। जे रूबी अजीवा ते चउबिहा पन्नता तं जहा-खंश जाव परमाणुपोग्गला, जे अरूवी अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्तातं जहा नो धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे १ धम्मत्थिकायस्स पएसा २ एवं अहम्मस्थिकायस्स वि आगासत्यिकायस्स वि अद्धासमये' अद्धासमयो मनुष्य में भी जानना चाहिये । तथा-'जे जीवपएसा ते नियमा एगिदिय पएसा अहवा एगिदियपएसा वि बेह दियस्स पएसा १, 'जो वहाँ जीव के प्रदेश हैं वे नियम से एकेन्द्रिय जीवों के प्रदेश हैं अथवा एकेन्द्रिय जीवों के प्रदेश भी हैं और एक बेइन्द्रिय जीव के प्रदेश हैं १ अहवाएकेन्द्रियों के प्रदेश हैं और अनेक बेहन्द्रियों के देश हैं २, इसी प्रकार का विचार तेइन्द्रिय से लेकर अनिन्द्रियान्ततक के जीवों में भी प्रदेश को लेकर कर लेना चाहिये । तथा-'जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता तं-जहा-हयी अजीवा य, अरूबी अजीवा य जे रूवी अजीवा ते चविहा पन्नत्ता, तं जहा-खंधा जाव परमाणुरोग्गला, जे अरूबी अजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता तं जहा-नो धम्मस्थिकाए-- धम्मस्थिकायस्सदेसे १, धम्मस्थिकायस्स पएसार, एवं अहम्मस्थिकायस्स वि आगासस्थिकायस्स वि अद्धासमए' अजीव है वे रूपी अजीव और "जे जीवपएसा ते नियमा एगि दियपएसा अहवा एगि दियपएसा वि बेइंदियस्स पएसा" त्यांना प्रशछे. ते नियमथी मेन्द्रिय वान प्रश। छे. અથવા એકેન્દ્રિય જીવન પ્રદેશ પણ છે. અને એક બે ઈન્દ્રિય જીવન प्रदेश छ (1) "अहवा"-मेन्द्रिय योनी प्रदेश छे. मन मने मे छन्द्रिને પ્રદેશ છે (૨) આ રીતને વિચાર ત્રણ ઇન્દ્રિયથી લઈને અનિન્દ્રિય वन विस्यमा ५५ प्रशन ने सभ देवी. तथा “जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता-तं जहा-रूवि अजीवाय, अरूवि अजीवाय जे रूवि अजीवा ते चउविहा पन्नत्ता, तजहा खंधा जाव परमाणुपोगाला जे अरूवि अजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता-तौं जहा-नो १ धम्मत्थिकाए धम्मस्थिकायस्स देसे (१) धम्मस्थि कायस्स पएसा (२) एवं अहमस्थिकायस्स वि, आगास त्थिकायस्स वि, अद्धा समये (१)-३षि भ७३ भने ५३१ भ७१ मे थी भ७१ मे શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨
SR No.006326
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages710
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size41 MB
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