SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६२ भगवती सूत्रे 'अदा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ' दश प्रदेशिकः स्कन्धः अष्टधा क्रियमाणः एकतः- एकमागे सप्त परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकतः - अपरभागे त्रिमदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयओ छ परमाणुपोग्गला, ओ दो परसिया खंधा भवंति ' अथवा एकत: - एकभागे षट्परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकत: - अपरभागे द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'नवहा कज्जमाणे एगओ अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्परसिए खंधे भाइ' नवधा क्रियमाणो दशपदेशिकः स्कन्धः, एकतः- एकभागे अष्ट परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकत: - अपरमागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, 'दसहा कज्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति ' दशमदेशिकः स्कन्धो दशधा क्रियमाणः दश परमाणुपुद्गलाः भवन्ति । गल होते हैं, और एक दूसरे भाग में तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । 'अद्वहा कजमाणे एगयओ सत्तपरमाणुपोग्गला, एगचओ तिप्पएसिए खंधे भवइ' इस दशप्रदेशिक स्कन्ध के जब आठ विभाग किये जाते तब एक भाग में सातपरमाणुपुद्गल होते हैं, दूसरे भाग में एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है ' अहवा एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एग ओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति ' अथवा एकभाग में ६ परमाणुपुद् गल होते हैं, और एक दूसरे भाग में दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। 'नवहा- कलमाणे एगयओ अट्ठपरमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ' जब यह दशप्रदेशिक स्कन्ध नौ विभागों में विभक्त किया जाता है तब एक भाग में आठ परमाणुपुद्गल होते हैं और एक दूसरे भाग में एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है 'दसहा कज्जमाणे दस परमा एगयओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति " अथवा એક પરમાણુ પુદ્ગલવાળા ચાર વિભાગેા અને ક્રિપ્રદેશિક ત્રણ સ્કંધ રૂપ ત્રણ विभागेो थाय छे. अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपतिए खंधे भवइ " ते इस प्रदेशि सुधना क्यारे आठ विभाग पुरवामां આવે છે, ત્યારે એક એક પરમાણુ પુદ્ગલવાળા સાત વિભાગેા અને ત્રિપ્રદે शिध ३५ विभाग थाय छे. " अहवा - एगयओ छ परम णुपोग्गला, मे परमाणु युद्दगाबाजा અને દ્વિદેશિક એ ધરૂપ ખીજાએ વિભાગા થાય છે. कज्जमागे एगयओ अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए संघे भवइ" ते हस अहेशि उधना क्यारे नव विभाग उरवामां आवे छे, ત્યારે એક એક પુદ્ગલ પરમાણુવાળા આઠ વિભાગા અને દ્વિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ થાય છે. दसहा कज्जमाणे दस परमाणु पोगाला नया ૬ ભાગે (6 શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦
SR No.006324
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages735
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size43 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy