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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१२ उ०४ सू०१ परमाणपुद्गलनिरूपणम् ५५ त्रिपदेशिका स्कन्धो भवति, एकत:-अन्यभागे षट् प्रदेशिकः स्वन्धो भवति, 'अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो चउप्पएसिए, एगयओ पंचपएसिए संधे भवई' अथवा एकतः एकभागे परमाणुपुद्गलो भवति, एकतः-अपरमागे चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतः पश्चपदेशिकः स्कन्धो भवति 'अहवा एगयओ दुप्पएसिए खधे भवइ, एगयो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकतः-एकभागे द्विप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतः- अपरभागे द्वौ चतुप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः 'अहवा एगयो दो तिप्पएसिया खंधा भवंति, एगयो चउप्पएसिए संधे भवई' अथवा एकतः-एकभागे द्वौ त्रिप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, एकतः-अपरभागे चतुष्पदेशिकः स्कन्धो भवति, 'चउहा कज्जमाणे एगययो तिनि परमाणुपोग्गला, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ' दशमदेशिक: स्कन्धश्चतुर्धा क्रियमाणः, एकतः-एकभागे त्रयः परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकत:एक दूसरे भाग में त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है और अन्यभाग में एक षट्प्रदेशिक स्कन्ध होता है । ' अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एग. यो चउप्पएसिए, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ' अथवा एक भाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, एक दूसरे भाग में चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है, और अन्य भाग में एक पंच प्रदेशिक स्कन्ध होता है। 'अहवा-एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ' एगयओ दो चउपएसिया खंधा भवंति ' अथवा-एक भाग में द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है एवं एक दूसरे भाग में दो चतुष्पदेशिक स्कन्ध होते हैं। 'अहवा-एगयओ दो तिप्पएसिया खंधा भवंति, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवई' अथवा-एक भाग में दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, और एक दूसरे भाग में चतुष्पदेशिक स्कन्ध होता है 'चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ' यह दशप्रदेशिक કઇ રૂપ બીજો વિભાગ અને છપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ ત્રીજે વિભાગ થાય છે. " अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ चउप्पएसिए, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवइ " अथवा : ५२मास पुल ३५ विलास, या प्रशिध. ३५ मे विIn भने पांच प्र ि२४५३५ त्रीने विमा मने छ. “अहवाएगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, एगयओ दो चउम्पपसिया, खंधा भवति" अथवा ક્રિપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ અને ચાર પ્રદેશિક બે સ્કંધ રૂપ બે विलास याय छे. " अहवा-एगयओ दो तिप्पएसिया खंधा भवंति, एगयओ चउप्पएसिप खंधे भवइ" मया से निप्रशि: २४५ ३५ मे विलो मने यार प्रहशि मे २४५ ३५ त्री विलास थाय छे. “चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ” न्यारे ते
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦