SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० १ परमाणुपुद्गलनिरूपणम् ९१ " प्रदेशिकस्याष्टाविंशतिः, दशप्रदेशिकस्य चत्वारिंशत्, संख्यातप्रदेशिकस्य द्विधा भिद्यमानत्वे एकादश, त्रिधा भिद्यमानत्वे एकविंशतिः, चतुर्धा भेदे एकत्रिंशत्, पञ्चधा भेदे एकचत्वारिंशत्, षोढा भेदे एकपञ्चाशत्, सप्तधा भेदे एकषष्टिः, अष्टधा भेदे एकसप्ततिः, नवधा भेदे एकाशीतिः दशधा भेदे एकनवतिः संख्ये - या भेदेतु एक एक विकल्पः, तदाह-' संखेज्जहा कज्जमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्ला भवंति सि, असंख्यातमदेशिकस्य द्विधा मेदे द्वादश १२, त्रिधा भेदे त्रयोविंशतिः २३, चतुर्धा भेदे चतुस्त्रिंशत् ३४, पञ्चधा भेदे पञ्चचत्वारिंशत् ४५, पोढा भेदे षट्पञ्चाशत् ५६, सप्तधा भेदे सप्तषष्टिः ६७, अष्टधा भेदेऽष्टसप्ततिः ७८, विकल्प, recoदेशी स्कन्ध के विभाग में २१ विकल्प, नौ प्रदेशी स्कंध के विभाग में २८ विकल्प, दश प्रदेशी स्कन्ध के विभाग में ४० विकल्प, संख्यात प्रदेशी स्कंध के दो प्रकार के विभागों में ११ विकल्प, तीन प्रकार के विभागों में २१ विकल्प, चार प्रकार के विभागों में ३१ विकल्प, पाँच प्रकार के भेदों में ४१ विकल्प, छहप्रकार के भेदों में ५१ विकल्प, सातप्रकार के भेदों में ६१ विकल्प, आठप्रकार के भेद में ७१ freeप, नौ प्रकार के भेद में ८१ विकल्प, दश प्रकार के भेदों में ९१ विकल्प, और संख्यात प्रकार के भेद में १ ही विकल्प होता है । सो ही कहा कि-' संखेज्जहा कज्जमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति ' त्ति' असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध के दो प्रकार के भेद में १२ विकल्प, तीन प्रकार से भेद करने पर २३, चार प्रकार से भेद करने पर ३४, पंचप्रकार से भेद करने पर ४५, छह प्रकार से भेद करने पर ५६, सात प्रकार से भेद करने पर ६७, आठ प्रकार से भेद करने पर ७८, नौ ૨૧ વિકલ્પ, નવપ્રદેશી સ્કુ'ધના વિભાગમાં ૨૮ વિકલ્પ, અને દસ પ્રદેશી સ્કંધના વિભાગેામાં ૪૦ વિકલ્પ થાય છે. સખ્યાત પ્રદેશી ધના એ વિભાગ કરવામાં આવે ત્યારે ૧૧ વિકલ્પ, ત્રણ વિભાગ કરવામાં આવે ત્યારે ૨૧ વિકલ્પ, ચારથી લઈને ઇસ પર્યન્તના વિભાગ કરવામાં આવે ત્યારે અનુક્રમે ३१, ४१, ५१, ६१, ७१, ८१, भने ७१ विदयाने सध्यात पिलाओ। કરવામાં આવે ત્યારે માત્ર એક જ વિકલ્પ મને છે. એજ વાત નીચેના सूत्रपाठ द्वारा अउट उरवामां आवी छे - " संखेज्जहा कज्जमाणे संखेज्जा परमाणुपोगला भवंति त्ति " असंख्यात प्रदेशी संघना न्यारे में विभाग उरवामां આવે છે, ત્યારે ૧૨ વિકલ્પે અને ત્રણથી લઈને ૧૦ પન્તના વિભાગે ईश्पाभां भावे त्यारे अनुमे २३, ३४, ४५, ६, १७, ७८, ८७ ले શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦
SR No.006324
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages735
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size43 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy