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भगवतीस्त्रे हत्थी, हथिप्पवरे, सव्वरयणमए सिरिघरपडिरूवए' अष्टौ हस्तिनः, हस्तिप्रवरान् हस्तिषु श्रेष्ठान् , सर्वरत्नमयान्-हस्तियोग्यरत्नमयाभूषणसज्जितान् , अतएव श्रीगृहपतिरूपकान् , लक्ष्मीभाण्डागारतुल्यान , 'अट्ठजाणाई, जाणप्पवराई' अष्टौ यानानि-शकटादीनि, यानपवराणि-यानेषु श्रेष्ठानि, ' अट्ठ जुगाई, जुगप्पवराई, एवं सिबियाओ, एवं संदमाणोओ, एवं गिल्लीओ, दिल्लीओ,' अष्टौ युग्यानिगोल्लदेशमतीतानि रिकशा' पदवाच्यानि जम्पानानि, युग्यप्रवराणि-युगेषु श्रेष्ठानि, एवं तथैव अष्टौ शिविकाः,-शिखराकाराच्छादित जम्पानरूपाः, एवं-तथैव अष्टौ स्यन्दमानिकाः-पुरुषप्रमाणजम्पानविशेषान् , एवम्-अष्टौ गिल्लीः, अष्टौ थिल्ली, 'गिल्ली थिल्ली' इतिनामकयानानि, 'अट्ट वियड जाणाई, वियडजाणप्पवराई' थे 'अट्ट हत्थी हथिप्पवरे, सम्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए' आठ हाथी दिये जो समस्त हाथियों में श्रेष्ठ थे, एवं सर्वथा रत्नों के भूषणों से जो सुसजित थे और इसीलिये जो लक्ष्मी के भण्डार के समान थे 'अट्ट जाणाह, जाणप्पवराह, आठ शकट आदि यान (गाडी) दिये जो कि समस्त यानों में श्रेष्ठ थे 'अट्ट जुगा, जुगप्पवराई', एवं सिवियाओ, एवं संदमाणीओ, एवं गिल्लिओ, थिल्लिओ' गोल्लदेशप्रसिद्ध आठ रिक्शा दिये जो कि समस्त रिक्शाओं में उत्तम थे इसी प्रकार से शिखर के आकार के आच्छादित जम्पान रूप आठ शिविकाएँ दीं, पुरुषप्रमाण जम्पानरूप आठ स्यन्दमानिकाएँ दी जो कि समस्त स्यन्दमानिकाओं में श्रेष्ठ थीं आठ दिल्ली और आठ गिल्ली नामक यान विशेष दिये 'अट्ठ वियडजाणाइवियडजाणप्पवराई' आठ
घरपडिरूवए " हाथीमा श्र सेवा मा हाथी . ते माडे डाथी सभाना ભંડાર જેવાં અને સર્વ પ્રકારનાં રત્નનાં આભૂષણેથી સુસજિજત હતા. “ अट्र जाणाई, जाणप्पवराई" समस्त यानामा श्र०४ मे मा २४ट माहि यान हीi. “ अट्ठ जुगाई, जुगप्पवराई, एव सिवियाओ, एवौं संदमाणीओ, एव गिल्लिओ, थिल्लिओ' मा शप्रसिद्ध मा युग (रिक्षासी) हाथी, रे સમસ્ત રીક્ષાઓમાં શ્રેષ્ઠ હતી, એ જ પ્રમાણે સમસ્ત શિબિકાઓમાં શ્રેષ્ઠ એવી આઠ શિબિકાએ દીધી. શિબિકા (પાલખી) શિખરના આકારથી આચ્છાદિત હોય છે. આઠ ઉત્તમમાં ઉત્તમ સ્વત્વમાનિકાએ દીધી. સ્વન્દમાનિકા પુરુષપ્રમાણ મ્યાના રૂપ હોય છે આઠ શ્રેષ્ઠ થિલી અને આઠ શ્રેષ્ઠ ગિલી सीधी. किसी भने Dreal यानविशेषान नाम छे. “ अट्र वियडजाणाई
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯