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भगवतीसूत्रे त्माए होज्जा १३ ' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एको धूमप्रभायाम् , एकस्तमायां भवति, १३, ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-(१४) ' अथवा एको नैरयिको रत्नप्रभायाम् , एको धूमप्रभायाम् , एकोऽधःसप्तम्यां भवति २-(१४)। ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए' अथवा एको रत्नप्रमायाम् , एकस्तमायाम् , एकोऽधःसप्तम्यां भवति १-(१५)।' अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा' अथवा एकः शर्करामभायां भवति, एको वा कापभायाम् , एकः पङ्क. प्रभायां भवति, १६, ।' अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा' अथवा एकः शर्क राप्रभायाम् , एको वालुकाप्रभायाम् , एको धूमप्रभायाम् भवति १७, । ' नाव अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालयप्पभाए, रत्नप्रभा में, एक धूमप्रभा मे और एक तमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है १३, (अहवा-एगे रयणप्पभाए, एगे मप्पभाए, एगे अहे धूसत्तमाए १४) अथवा-एक नैरयिक रत्नप्रभा में एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में उत्पन्न होता है १४ (अहवा-एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए ) अथवा-एक रत्नप्रभा में एक तमः प्रभा में और एक अधः सप्तमी में उत्पन्न होता है १५ ( अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा) अथवा एक नैरयिक रत्नप्रभा में, दूसरा एक वालुकाप्रभा में और तीसरा एक पंकप्रभा में उत्पन्न होता है १६, (अहवा-एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होजा १७) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक दूसरा वालुकाप्रभा में और एक तीसरा धूमप्रभा में उत्पन्न होता है १७, होज्जो ) (१३) अथ मे ना२४ २त्नमामा, मे धूमप्रमामा, मने मे तमामामा उत्पन्न थाय छे. ( अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा) (१४) अथवा से ना२४ २त्नमामा, मे घूमनामा भने १४ नये सातभी न२४मा पन्न थाय छे. ( अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ) (14) अथवा से ना२४ २त्नप्रभामा એક તમ પ્રભામાં અને એક નીચે સાતમી તમસ્તમપ્રભા નરકમાં ઉતપન્ન થાય છે. ( अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुय पभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा) (18) (૧૬) અથવા એક નારક શરામભામાં, એક વાલુકાપ્રભામાં અને એક પંકप्रक्षामा उत्पन्न थाय छे. ( अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धमप्पभाए होम्जा) (१७) अथवा मे ना२४ ॥२॥प्रभामा, भाने से पानामा भने त्रीने मे धूमप्रमामा उत्पन्न थाय छे. (जाव अहवा एगे
श्री.भगवती. सत्र: ८