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________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श०९७०३३सू०१३ महावीरवाक्यं प्रति जमालेरश्रद्धानि० ५७७ भगवं महावीरे तेणेव उनागच्छइ' ततः खलु स जमालिरनगारः अन्यदाकदाचित यौव श्रमणो भगवान महावीर आसीत् तत्रैवोपागच्छति, ' उआगच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता, नमंसित्ता, एवं वयासी-इच्छामि णं भंते। तुम्भेहिं अभणुनाए समाणे ' उपागत्य श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दते, नमः स्यति, एवं वक्ष्यमाणपकारेग अवादोत्-हे भदन्त ! इच्छामि खलु आं युष्माभिरभ्यनुज्ञातः आज्ञप्तः सन् 'पंचर्हि अणगारसएहिं सद्धि पहिया जणवयविहारं विहरित्तए' पञ्चभिः अनगारशतैः-पञ्चशतानगारैः सार्द्धम् बहिः जनपदविहारं विहर्तुम् इच्छामि इति पूर्वेगान्धयः। "तए णं से समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयम8 णो आहाइ णो परिजाणाइ, तुसिगीए संचिठ्ठा' ततः खलु कहा है कि 'तएणं से जमाली अगगारे अन्नया कयाई जेगेव समणे भगवं महावीरे तेत्र उवागच्छइ' वे जमालि अनगार एक दिन जहां श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे वहां पर आये ‘उवागच्छित्ता' वहां आकरके उन्होंने 'समणं भगवं महावीरं वंदह नमसइ' श्रमण भगवान महावीरको वन्दना की और नमस्कार किया ' वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी' वन्दना नमस्कार कर फिर प्रभुसे उन्होंने इस प्रकार कहा- इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अभणुनाए समाणे ' हे भदन्त ! मैं आपसे आज्ञापित होकर यह चाहता हूं कि मैं 'पंचहिं अणगारसएहिं सदि बहिया जगवयविहारं विहरित्तए 'पांचसो अन गारों के साथ बाहर देशका विहार करूँ 'तएणं से समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमढे णो आढाइ, णो परिजाणाइ, तुसि “तएणं से जमाली अणारे अन्नया कयाई जेणेव समणे भगवं महा वीरे तेणेव उवागच्छइ" से हिस म.सी अनुसार नयां श्रमण सगवान मडावीर विमान , त्यो माया. " उपगच्छिता” त्या वीन तेमणे 'समगं भगवं महावीर' वंदइ नमसइ' श्रम समान मारने १४। ४री मने नमः२ र्या, “ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी" ५४४ नम॥२ ४शन तेम तेमने मी प्रमाणे ४थु'-" इच्छामि गं भंते ! तुम्भेहि अब्भणुनाए समाणे " 3 महन्त ! ५नी 24ज्ञा य त “प'चहि अण. गारसएहि सद्धि बहिया जगवय विहार विपरित्तए" ( पांयसे। अ॥रानी साथै मानन५.मा वि.२ ४२३॥ मागु छु. “तएणं से समणे भगवं महावीरे जमालित अगगारस्स एयमढ णो आढाइ, णो परिजाणाइ, तुसिणीए श्री. भगवती सूत्र : ८
SR No.006322
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages685
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size40 MB
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